Menu
blogid : 2748 postid : 1146305

होली का महापर्व 24-03- 2016 :- पंडित कौशल पाण्डेय 09968550003

KAUSHAL PANDEY
KAUSHAL PANDEY
  • 46 Posts
  • 18 Comments

होली का महापर्व 2016 :- पंडित कौशल पाण्डेय 09968550003
इस वर्ष 24 मार्च 2016 को होली का महापर्व मनाया जाएगा. यह त्यौहार प्रति वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
क्या होता है होलाष्टक :-
होलाष्टक का अर्थ होता है होला+ अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन को ही होलाष्टक कहा जाता है.होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है
इस वर्ष होलाष्टक 16 मार्च बुधवार से 23 मार्च 2016 तक रहेगा , फाल्गुण शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन अर्थात पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है,
इन दिनों सभी शुभ कार्य वर्जित होते है ,होलाष्टक मुख्य रुप से पंजाब और उत्तरी भारत में मनाया जाता है.
होलाष्टक के मध्य दिनों में 16 संस्कारों में से किसी भी संस्कार को नहीं किया जाता है. यहां तक की अंतिम संस्कार करने से पूर्व भी शान्ति कार्य किये जाते है. इन दिनों में 16 संस्कारों पर रोक होने का कारण इस अवधि को शुभ नहीं माना जाता है.
होलिका दहन :-
होली से एक दिन पहले फाल्गुन पूर्णिमा 23 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन भद्रा रहित काल में किया जाता है.
हमारे धर्म ग्रंथो में मान्यता है कि भद्रा काल में होलिका दहन करने से समाज और देश में अराजकता और विद्रोह का माहौल पैदा होता है।
इसलिए चतुर्दशी, प्रतिपदा के समय दिन में होलिका दहन करने का विधान नहीं है। सायं काल में होलिका दहन किया जायेगा
धर्मसिन्धु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है।
होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वञ्चित होना पड़ेगा परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है। इस लिए शुभ मुहूर्त के अनुसार ही होलिका दहन करे।
इस वर्ष 2016 में होलिका दहन के मुहूर्त में अनेके पंचांगों के अनुसार भ्रम की स्थिति है :- कौशल पाण्डेय 09968550003
महर्षि वेद व्यास जी द्वारा रचित “भविष्योत्तर पुराण ” के अनुसार :-
सार्धयाम प्रयम् वा स्यात् द्वितीये दिवसे यदा ।
प्रतिपद् वर्धमाना तू तदा सा होलिका स्मृता ।।
इसका अर्थ यह है की यदि पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर या इससे अधिक समय को व्याप्त करे और उसके साथ प्रतिपदा वृद्धिगामिनी हो तो वहाँ होलिका दहन सायं व्यापिनी पूर्णिमा के कल में करनी चाहिए ।
काशी के प्रसिद्ध पंचांग श्री गणेश आपा जी के अनुसार होलिका दहन का शुभ समय 22 मार्च को है
इस वर्ष चदुर्दशी मंगलवॉर 22 मार्च को प्रदोष काल में पूर्णिमा व्याप्त है दूसरे दिन पूर्णिमा बुधवार को प्रदोष व्यापिनी नहीं है , पूर्णिमा का मान 25 घटी 23 पल है जो साढ़े ३ प्रहर (=२६ घटी २३ पल ) से कम है अतः मंगलवार को भद्रा पुच्छ में रात्रि १०/१५ से १२/९ के बीच होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत है
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ = २२/मार्च/२०१६ को १५:१२ बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त = २३/मार्च/२०१६ को १७:३० बजे
होलिका कि पूजा क्यों –?
आज कल लोग होलिका की पूजा करते देखे जाते है जो हिन्दू धर्म के विपरीत है , जैसा कि हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि होलिका एक राक्षसी थी जिसे वर स्वरुप आग में न जलने का वरदान प्राप्त था लेकिन ईश्वर के खिलाफ जाने से वह तो जल गई और भक्त प्रह्लाद हरी नाम का सुमिरन करने के कारन आग से भी जिन्दा बच गए , इस लिए होलिका की पूजा न कर के भक्त प्रह्लाद के लिए पूजा करनी चाहिए , तभी से प्रति वर्ष यह पर्व भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होलीका को जला कर मनाया जाता है.
भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए पूजन विधि
होलिका के समीप, पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ अपना मुख करके बैठे. भगवान विष्णु और अग्निदेव से प्रार्थना करके होलिका में आहूति दें.
फ़ूल-माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चे सूत, गुड़ हल्दी की गांठे, बताशे, नारियल आदि के द्वारा होलिका में अर्पित करे
इसके उपरांत कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर लपेटते हुए होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करें
और मन में कामना करे कि जिस प्रकार से भगवान विष्णु और अग्निदेव ने भक्त प्रह्लाद कि रक्षा ठीक वैसे ही हमारे मन मंदिर में ईश्वर के प्रति श्रद्धा विश्वास पैदा करे।
होलिका दहन के लिए लोग हरे भरे पेड़ों को काट कर होलिका में डाल देते है ऐसा नहीं करना चाहिए वृक्ष काटनेसे पर्यावरणकी हानि होती है ।
शास्त्रों में विधान मिलता है कि अरंडी के पेड़ को बीच में खड़ा करने के उपरांत सुखी लकड़िया और गोबर के उपले चारों तरफ डाल कर होलिका बनाना चाहिए या घर में लकड़ी के बेकार सामान आदि होलिका में जलाकर यह त्यौहार मानना चाहिए
रंगवाली होली , जिसे धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता है, होलिका दहन के अगले दिन ही रंगोत्सव मनाया जाता है
करे ये उपाय
होलिका दहन के समय गेहूँ की बाल को जलती हुई होलिका में सेंकना चाहि‌ए इसके उपरांत बाली सेंककर घर में फैलाने से अन्न और धन की वृद्धि होती है।
रंगों का त्योहार मुबारक हो, खुशियों की फुहार मुबारक हो।.
सात रंग से सजे आपका तन-मन जीवन,एक नहीं, दो नहीं सौ-सौ बार मुबारक हो .,
मेरा सभी देश वाशियों से निवेदन है की होली का त्यौहार भारतीय संस्कृति के अनुसार आज के दिन शराब का सेवन न करे , जिससे माहोल ख़राब हो कई बार देखने में आया है की लोग नशे में धुत हो कर छेड़खानी करते है और ड्राइविंग करते है जिससे उनकी जान भी चली जाती है यह जीवन बहुत अनमोल है इसे ख़ुशी से जिए , होली भाईचारे का प्रतिक है इसे सरलता से मनाये।
पंडित कौशल पाण्डेय

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh