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असमय मृत्यु से बचने का उपाय

ज्योतिष जिज्ञासा
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दीपावली पर अमावस्या शाम करीब 6.21 तक ही रहेगी इसके पश्चात प्रतिपदा लग जाएगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा ने बताया कि जो लोग अमावस्या तिथि में लक्ष्मी पूजन करना चाहते है, उन्हें शाम के पूर्व ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर पितरों का पूजन होता है। हर वर्ष इस दिन सूर्य एवं चंद्रमा तुला राशि में रहते है। सूर्य नीचे का होने से एवं दक्षिण गोलाद्र्ध में झुका हुआ रहता है। दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज हैं। इसलिए समस्त पितरों का पूजन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके किया जाना चाहिए। दीपावली के दिन भी पितरों को पूजन किया जाता है। दीपावली के दिनों के लिए कुछ ऐसे उपाय हैं जिनसे मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

पावली के पांचों दिन धनतेरस से लेकर भाई दूज तक समस्त पर्व यमराज से संबंधित हैं। धनतेरस पर शाम को एक अन्न के बर्तन पर रखकर दीपक जलाएं। दीपक लगाते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसे दीपक लगाने से परिवार में होने वाली असमय की मृत्यु से बचा जा सकता है।

रूप चौदस को यमराज का पूजन करके नरक से बचा जा सकता है। दीपावली पर पितरों का एवं यमराज का पूजन करके पितरों के लिए शांति एवं प्रसन्नता की कामना की जाती है। प्राचीन काल में समुद्र मंथन के समय इसी दिन अमावस्या काल में लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। श्रीराम इसी दिन रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटकर आए थे, इसलिए दीपावली मनाई जाती है। ऐसी ही कई कथाएं इस संदर्भ में प्रसिद्ध हैं।

दीपावली के दिनों में गोवर्धन पर्वत का पूजन होता है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा द्वापर युग में दीपावली के दूसरे दिन से गोवर्धन पर्वत का पूजन प्रारंभ करवाया गया था। श्रीकृष्ण मोक्ष देने वाले भगवान हैं, इसलिए भी उनका पूजन दीपावली के अगले दिन होता है। दीपावली पर्व के अंतिम दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। इसी वजह से यह दिन भाई दूज के रूम में मनाया जाता है।

दीपावली पर्व मुख्यत: यम पूजन एवं प्रसन्नता का पर्व है। अमावस्या तिथि के स्वामी भी पितर होते हैं। इस दिन चंद्र के दर्शन नहीं होते। चंद्र लोक ही पितरों का निवास स्थान माना गया है एवं आश्विन माह से आए हुए समस्त पितर इसी दिन धरा से विदा होते हैं। शास्त्रों के अनुसार यमराज के लोक में भी सदा अंधेरा होता है। ऐसे में दीपावली के दिनों दीपक जलाने से यमलोक के मार्ग में प्रकाश होता है और पितरों को यमलोक जाने के लिए रोशनी प्राप्त होती है।

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