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शनिवार, शनि ग्रह दोष से मिली पीड़ा और बाधाओं को दूर करने लिए शनि भक्ति और उपासना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन शनि की प्रसन्नता के लिए धार्मिक कर्म, पूजा-पाठ के विधि-विधान शास्त्रों में बताए गए हैं। इसी कड़ी में कुछ ऐसे उपाय भी बताए गए हैं, जिनमें पूजा-पाठ की बड़ी विधियों के बिना भी शनि की प्रसन्नता से खुशहाली पाई जा सकती है। ऐसा ही एक उपाय है- कुछ खास कुदरती सामग्रियों से स्नान द्वारा शनि दोष शांति।
ताजगी के लिए प्राय: हर व्यक्ति की सुबह की शुरुआत चूंकि स्नान से होती है। इसलिए इस वक्त यह उपाय अपनाना आसान भी है। किंतु इसकी तैयारी एक दिन पहले की जाती है।
जानिए यह स्नान विधि
शनि दोष शांति के लिए विशेष स्नान सप्ताह में एक बार किया जा सकता है। इसके लिए स्नान के एक दिन पहले रात को साफ पानी में काले तिल, काली उड़द, लौंग, नीले लाजवंती के फूल और शतपुष्पी व लोधरे के फूल, जिनको जड़ी बूटियां भी होती हैं, को भिगोने के लिए रखें। अगले दिन सुबह उठकर इस पानी को छानकर शुद्ध जल में मिलाकर शनि के इन सरल मंत्रों में से एक बोल जल को अभिमंत्रित कर स्नान करें।
ऊं शं शनैश्चराय नमा
ऊं प्रां प्रीं प्रौं सं शनिश्चराय नमा
ऊं नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम।।
श्रद्धा और आस्था से किया गया स्नान मन, शरीर और व्यावहारिक जीवन के कष्टों को दूर कर शुभ फल देता है।
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