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अरविन्द मोदी और नरेन्द्र केजरीवाल

मेरी डायरी
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दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की जय-जयकार सुन कर मुझे वो दिन याद आ गया जब नरेन्द्र मोदी जी ने चुनाव जीता था, पूरे देश में जय-जयकार हो रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे हर गली-मोहल्ले में नयी दुल्हन आई है. आज वही उत्साह और उमंग दिल्ली की गलियों में देखने को मिल रहा है. जहाँ एक तरफ मोदी जी के साथ पूरा देश था वही दूसरी तरफ केजरीवाल के साथ पूरी दिल्ली हो गयी. और जो हाल मोदी का दिल्ली में हुआ वही हाल केजरीवाल का बनारस में हुआ था. पता नहीं क्यों जनता ये भूल जाती है की सबका समय बदलता रहता है, पर मुझे लगता है कांग्रेस का समय एकदम से बदल गया है और अब धीरे-धीरे बदलता ही जायेगा.

समय के इस बदलाव से जनता को बहुत सारी उम्मीदें हैं. देश वालों को मोदी से तो दिल्ली वालों को केजरीवाल से. U.P. वालों को अखिलेश से तो हरयाणा वालों को मनोहर जी से. सबको अपने से ऊपर वालों से कुछ न कुछ उम्मीद लगी रहती है. चाहे वो घर हो या बाहर. घर में बच्चों को अपने माँ-बाप से, ऑफिस में एम्प्लोयी को बॉस से, प्रदेश में लोगों को मुख्यमंत्री से, देश में जनता को प्रधानमंत्री से हमेशा उम्मीद लगी रहती है की वो उनके लिए कुछ-न-कुछ ज़रूर करेंगे. उम्मीद बहुत बड़ी चीज़ होती है क्योंकि इसी उम्मीद से जनता इंतज़ार करके और नेता सरकार चला कर 5 साल गुजार देती है. उम्मीद भी बड़ी बेशरम चीज़ है, कभी मरती नहीं, 5 साल बाद फिर नयी उम्मीद बनकर आ जाती है.

हमारी सभी उम्मीदवारों से यही विनती है की एक-दूसरे की बुराई करना छोड़ कर जनता की उम्मीदों पर ध्यान दें, अगर उन्हें फिर से उम्मीदों के उम्मीदवार बनना है तो, नहीं तो जनता के पास और भी उम्मीदें होती हैं. मोदी जी भी मेरी नज़र में अरविन्द केजरीवाल हैं और केजरीवाल जी भी मेरी नज़र में नरेन्द्र मोदी हैं. जो जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे वही सच्चा उम्मीदवार है, वही सच्चा नेता है. इसलिए ऐसा कहना गलत नहीं होगा की मोदी जी देश के केजरीवाल हैं और अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मोदी.

— अभिमन्यु ASY
— 7068745795

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