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दिल
एक ऐसा लफ्ज़,
जो हर एक की जुबां पर होता है,
कोई पाता है दिल, कोई खोता है,
कोई डूब जाता है छोटे से दिल में,
कोई इस दिल में लगाता गोता है..
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और कभी-कभी,
कोई दिल लेकर जाता है,
कोई दिल देकर जाता है.
कोई दिल तोड़ जाता है,
कोई दिल छोड़ जाता है.
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कोई इस दिल में आता है,
कोई इस दिल से जाता है.
कोई इस दिल से जाकर भी,
न जाने क्यों सताता है.
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किसी दिल में नफरत है,
किसी दिल में है प्यार ही प्यार,
किसी दिल में मोहब्बत है,
किसी दिल में है सिर्फ इनकार.
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किसी के दिल में क्या है मालूम नहीं होता,
दिल में कभी सुकूं, कभी सुकूं नहीं होता.
दिल की बातें सिर्फ दिल ही समझ पाता है,
ऐसा कोई दिल नहीं जिसमें जुनूं नहीं होता.
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दिल माँ का होता है,
दिल बाप का भी होता है.
दिल बहन का होता है,
दिल भाई का भी होता है.
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दिल पत्नी का होता है,
दिल पति का भी होता है.
दिल दोस्त का होता है,
दिल दुश्मन का भी होता है.
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दिल अपनों का होता है,
दिल परायों का भी होता है.
दिल पंछियों का होता है,
दिल पशुओं का भी होता है.
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दिल एक का होता है,
दिल सबका भी होता है.
दिल जितना हँसता है,
दिल उतना ही रोता है.
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दिल उछलता है,
दिल बैठता भी है.
दिल मानता है,
दिल रूठता भी है.
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दिल गाता है,
दिल नाचता भी है.
दिल पत्थर का है,
दिल कांच का भी है.
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दिल टूटता है,
दिल जुड़ता भी है.
दिल जलता है,
दिल पिघलता भी है.
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दिल भूलता है.
दिल याद भी करता है,
दिल बिछड़ता है,
मिलने की फ़रियाद भी करता है.
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दिल सच बोलता है,
दिल झूठ भी बोलता है.
दिल राज़ छुपाता है,
दिल राज़ भी खोलता है.
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दिल पढता है,
दिल लिखता भी है.
दिल छुपा रहता है,
दिल दिखता भी है,
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दिल से दिल पे दिल की कविता लिख दिया.
दिल में जो दिल के लिए था वो आज लिख दिया..
दिल से पढने वालों ज़रा दिल लगाकर पढना.
बाद में ये न कहना की मैंने क्या लिख दिया..
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—- “अभिमन्यु ASY”
—- 7068745795
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