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( राजेश जॉब करता है और उसकी आधी सैलरी अपनी माँ की बीमारी में चली जाती है, राजेश का छोटा भाई पागल है और बहन गूंगी है. उसकी पत्नी और वो दोनों परेशान हैं और चाहते हैं की बस माँ जल्दी मर जाये. )
सीन १:
( राजेश अपनी माँ की दवा लेकर आता है और फिर उसकी पत्नी चिल्लाने लगती है )
पत्नी: पिछले दो साल से अपनी आधी सैलरी तुम अपनी माँ की दवा में खर्च कर रहे हो, पर कुछ असर नहीं दिख रहा. कब से कह रही हूँ की मेरे लिए एक सोने का हार ला दो, कम-से-कम गले में दिखेगा तो.
पति: मै भी तो परेशान हो गया हू अपनी माँ से, पता नहीं कब मारेगी ये बुढ़िया. खुद मर नहीं रही है और हमें जीने नहीं दे रही .
(पति दवा लेकर माँ के पास जाता है)
सीन २:
(माँ अपने पागल बेटे और गूंगी बेटी के साथ बैठी है और पागल बेटे से बात करते हुए हंस रही है)
माँ (पागल बेटे से): (पेन दिखाते हुए) ये क्या है ?
बेटा: मैंगो……….मैंगो………मैंगो……….मैंगो………
माँ (हँसते हुए): बेटा ये पेन है, मैंगो नहीं.
राजेश: आप यहाँ बैठ कर हंस रही हो और आराम फरमा रही हो. सारा काम मेरी वाइफ को करना पड़ता है. मेरी पूरी सैलरी आपकी दवा में जा रही है और आपकी दवा के कारण मै अपनी वाइफ के लिए हार नहीं ला पा रहा हूँ.
माँ: बेटा भगवान से प्रार्थना कर मेरे जल्दी मरने की.
राजेश: दो साल से प्रार्थना ही तो कर रहा हू, पर भगवान् मेरी सुनते कहा है, बता न बुढ़िया तू कब मारेगी?
(पागल बेटा मैंगो-मैंगो कहता है तो बड़े बेटे को और भी गुस्सा आ जाता है)
राजेश: तू जल्दी मर जा, उसके बाद इस पागल को भी तेरे पास भेज दूंगा. इसके जिन्दा रहने का क्या फायदा. मेरे बाद जरुरी था इन नमूनों को पैदा करना?
माँ: मै तो सिर्फ इन दोनों के कारण जिन्दा थी अब तक. पर चिंता ना कर बेटा, तेरी इच्छा मै जल्दी ही पूरी कर दूंगी.
(माँ रोने लगती है अपने दोनों बच्चों की तरफ देखते हुए)
सीन ३:
(माँ दोनों बच्चों को खाना खिला कर सुला देती है और फिर एक कागज़ पर कुछ लिखती है और आलमारी में रख देती है, फिर वो एक शीशी नींद की दवा खाकर अपनी जान दे देती है)
(माँ की लाश देख कर बेटी रोने लगती है, पागल बेटा भी बहन को देख कर रोने लगता है, पर पति-पत्नी के चेहरे पर ख़ुशी की झलक दिख रही थी)
सीन ४:
एक महीने बाद:
(पति-पत्नी पागल भाई और गूंगी बहन का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखते थे, जब मन करता मार देते, पत्नी गूंगी से खूब काम करवाती)
पत्नी: अगर खाना खाना है तो चल पहले बर्तन साफ़ कर , उसके बाद मेरे कपड़े भी धोना है.
(पागल भाई बीमार हो गया पर किसी ने कोई परवाह नहीं की. जब वो एकदम सीरियस हो गया और उसका शरीर कंकाल बन गया तो उसको एडमिट कराया गया, पर डॉक्टर उसे नहीं बचा पाए और वो मर गया)
पत्नी: अच्छा हुआ मर गया नहीं तो कौन जनम भर देखभाल करता. किसी काम के लायक नहीं था.
पति: सही कह रही हो, पर अब इस गूंगी बहन का क्या करूँ? इसकी शादी कैसे होगी?
पत्नी: दिमाग ख़राब है क्या तुम्हारा? इसकी शादी करने की क्या जरुरत है? यही पड़ी रहने दो, काम-काज करेगी घर का.
पति: सही कह रही हो.
सीन ५:
(एक दिन बहन को आलमारी में वो लैटर मिला जो उसकी माँ ने लिखा था मरने से पहले, उसने लैटर अपने भाई को दे दिया)
भाई लैटर पढना स्टार्ट किया:
तेरे लिए मैंने मांगी थी कितनी मन्नते,
करती थी पूजा कितनी तेरे लिए दिन-रात..
चंदा के जैसा मुखड़ा लेकर हुआ तू पैदा,
आई थी घर में उस दिन खुशियों भरी सौगात..
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लगा कर सीने से तुझे पालने में पाला,
गोद में उठाकर कहती थी तुझको लाला..
पेट अपना काटकर भरती थी पेट तेरा,
मिलता,कभी न मिलता एक भी निवाला..
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फिर बहन हुई तेरी जो बोल नही सकती,
भाई हुआ पैदा बिन मानसिक शक्ति…
दोनों के ऐसा होने की सिर्फ एक है वजह,
इनके लिए नहीं की मैंने कोई भक्ति…..
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रोती थी जब रात में, तू पास नहीं होता था,
मेरा पागल बेटा भी ये देख कर रोता था…
गूंगी बेटी की आँखों के आंसू बोलते थे,,,,
बस इक तू था जो मेरे पास नही होता था..
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तूने मुझे मारा, मुझको गाली भी दी,
क्या कभी खाने की इक थाली भी दी.
जीना तो और भी था पर मर गयी ये सुनकर,
तूने खुदा से मेरी मौत की नीलामी भी की….
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भाई को मार कर मेरे पास भेज देना,
लाश पे बहन की अपना घर बसा लेना.
शिकवा नहीं होगी तब भी कोई तुमसे,
कब्र पर हर साल बस इक दीप जला देना.
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अगर ऐसे ही होते है सारे नार्मल बच्चे,
तो पागल और गूंगे बच्चे ही हैं अच्छे..
मेरी मौत के बाद जब ये लैटर पढ़ोगे,
निकलेंगे उस दिन तेरे भी आंसू सच्चे.
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(लैटर पढ़कर वो रोने लगता है और अपनी बहन को गले लगा लेता है, और तभी उसकी पत्नी आकर उसके हाथ से लैटर लेकर पढने लगती है, और वो भी रो देती है. फिर वो भी उसे अपने गले लगा लेती है और फिर तीनो प्यार से रहने लगते हैं.)
-Abhimanyu ASY
-7068745795
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