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यह कैसी सुंदरता –
जिसने एक सूबेदार के प्राण ले लिए –
और घायल कर दिया –
दो सिपाहियों को|
पाकिस्तान ने शूर्पणखा को भेजा है|
और कैसे भूलूँ? तुम –
हमसे मिलने के पूर्व –
मिल आई हो –
गिलानी, मीरवाइज और यासीन मालिक जैसे –
लफंगे, जेहादी काश्मिरिओं से|
सुंदरता, सत्यता और शिवता में निहित है|
हमारे देश के शहीदों की –
सडती हुई लाशों से –
फूटती हुई सड़ांध –
तुम्हारी कंचन काया से निकल –
हमारी नासिका को प्रदूषित करती है|
और असर भी तो हुआ है –
प्रदूषण का|
देख, हमारे देश का भटका हुआ नौजवान –
तुमसे शादी करना चाहता है|
हिना! तुम सुन्दर नहीं हो –
भले ही सत्रह लाख का पर्स,
तेरह लाख की घडी –
सब कुछ लूटा दो –
अपनी कल्पित सुंदरता के साथ –
इस अनन्य भारत पर|
फटे – पुराने चिथड़ों में –
किसी तरह अपनी लाज बचाती,
किन्तु,
स्वाभिमानी,
उपले बीनने वाली,
एक परित्यक्त ग्रामीण कन्या –
तुमसे कहीं अधिक सुन्दर है|
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