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मयंक कवि विरचित मोदी चालीसा

मनोज कुमार सिँह 'मयंक'
मनोज कुमार सिँह 'मयंक'
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श्री गणेश का नाम ले, धर शारद के पाँव |

राजनीति की धूप में, मोदी तरु की छाँव ||

अटल, सत्य संकल्प है, सदा नमो के पास |

उद्यत करने को हुये, हर संकट का नाश ||

भीतर, बाहर सभी विरोधी | जनता कहती मोदी मोदी ||१||

बसपा, सपा असुर हैं भारी | कांग्रेस टोटल अत्याचारी ||२||

तुष्टिकरण, अनुचित आरक्षण | लोकतंत्र का करते भक्षण ||३||

कलि के कुटिल नराधम पापी | झाडू ले फिरते आआपी ||४||

कमल चिन्ह का बजा है डंका | मोदी भारत विमल मयंका ||५||

सुखी होय जग, खिले सरोजा | मोदी मोदी कहे मनोजा ||६||

राष्ट्र, धर्म, संस्कृति के साधक | जगदम्बा के श्रेष्ठ अराधक ||७||

नौ दिन निराहार व्रत रहते | भारत, भारत, भारत कहते ||८||

वन्देमातरम के अनुरागी | द्वेष, दम्भ, छल, छिद्र विरागी ||९||

अदना चाय बेचने वाला | संघर्षों ने जिसको पाला ||१०||

अब कहती है दुनिया सारी | राजनीति में यह अवतारी ||११||

खेले भारत माँ की गोदी | हर हर मोदी, घर घर मोदी ||१२||

आतंकी इण्डिया विरोधी | डर डर मोदी, थर थर मोदी ||१३||

संघ कार्य के राज्य प्रणेता | संत सदृश सज्जन जननेता ||१४||

दीन दशा जब भारत लख्या | सोमनाथ से चले अयोध्या ||१५||

जन्म लियो घर अति साधारण | उगा सूर्य जनु तम संहारण ||१६||

हीराबेन लला जनु मानिक | श्रद्धा भाव निखिल निगमादिक ||१७||

सादर है जन जन से नाता | मोदी भारत भाग्य विधाता ||१८||

कार्गिल जुद्ध कियो अरि भारी | प्रतिपक्षी दल बने मदारी ||१९||
भारत की प्रभुता संकट में | लख भारत माता सांसत में ||२०||

सेना के हित बने प्रवक्ता | गरज उठा शावक बन वक्ता ||२१||

पहना प्रलयंकर का चोगा | गोली का जवाब बम होगा ||२२||

आयो भुज भूकंप भयंकर | सवा साल में आठ लाख घर ||२३||

टाटा को गुजरात बुलायो | फ़ाइल में लाइफ ले आयो ||२४||

इधर धर्म अपनाने वाले | उधर देश को खाने वाले ||२५||

बहु विधि भारत के अपकारी | बहु प्रकार नर भ्रष्टाचारी ||२६||

सबके उर भय एक तुम्हारा | तुम नैया के खेवनहारा ||२७||

स्वयं साधना करके देखा | तुम भारत की जीवन रेखा ||२८||

बहुत दिनों से धरती बंजर | तुम छाये बन मेघ धुरंधर ||२९||

विश्वनाथ जी का अनुमोदन | राजनीति में हो संशोधन ||३०||

इसीलिये तुम काशी आये | धर्मप्राण हरिजन हर्षाये ||३१||

जय जय जय मोदी जन नायक | जड़ता हरो विकास प्रदायक ||३२||

कर्मकुशल संशाधन दोहक | रिपुजन दलन सर्वजन मोहक ||३३||

विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा | तुमने एक रंग सब रंगा ||३४||

सबके दिल में कमल खिलाने | ऐक सूत्र जन सभी मिलाने ||३५||

पूरे सारे काज करेगा | यह दिल्ली में राज करेगा ||३६||

शुभ चुनाव का बिगुल बजा है | देवासुर संग्राम मचा है ||३७||

गूँज उठा है सारा अम्बर | यह अंतिम निर्णय का अवसर ||३८||

तैंतिस कोटि देव जागे हैं | देवसुतों से मत मांगे हैं ||३९||

जागो माता बहनों भाई | हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई ||४०||

सावधान मन कह रहा, पूरा भारत देश |

कमल बटन गंगा सदृश, कटे पाप अरु क्लेश ||

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