मनोज कुमार सिँह 'मयंक'
- 65 Posts
- 969 Comments
हे मेरे प्रिय भारतवर्ष।
उपनिषदोँ का शुभ संदेश-
व्यष्टि मेँ निहित लोक-परलोक।
सकल विश्व सत्ता साकार,
है जिसका कण-कण मेँ विस्तार।
दूर करने को पापाचार-
लिया था प्रभु ने शुभ अवतार।
सभी के मंगल का आदेश-
उपनिषदोँ का शुभ संदेश।
अनाहत बजता था दिन-रात।
स्वस्तिमय मंगल नवल-प्रभात।
विश्व था सारा जब नवजात-
तुम्हीँ ने दिया उसे संज्ञान।
विगत दुख-दर्द,मिटा सब शोक।
व्यष्टि मेँ निहित लोक परलोक।
जगत का लेकर सारा क्लेश।
बचा कुछ नहीँ तेरा अवशेष।
है भूखे लोग,बुभुक्षित देश।
हो गया मलिन तेरा परिवेश।
सभ्यता,संस्कृति का संघर्ष।
हे मेरे प्रिय भारतवर्ष॥
Read Comments