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प्राकृतिक त्रासदी,मानव जनित आतंकवाद, मानव निर्मित प्रदूषण आदि समस्याओं पर हो हल्ला क्यों?

Social issues
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परिवर्तन जीवन का एक हिस्सा है I मौसम, महीने साल दर साल बदलते रहते हैं Iमानव शरीर भी बचपन से लेकर बुढ़ापे तक की यात्रा करता है यानि आदि से लेकर अंत तक परिवर्तन की अनुभूति होती रहती है, नहीं बदलता है तो मानव का स्वभाव I फिर भी हर दिन बदलाव के साथ एक अच्छे कल की उम्मीद जगाता है I मानव जिज्ञासु होने के साथ साथ कर्मशील व आशावादी होता है I शंकालु प्रवर्ती का होने के कारण भूतकाल में देखना नहीं छोड़ता साथ ही अपने अंहकार में दूसरे को उपदेश देता है लेकिन खुद संकल्प नहीं लेता यंहा तक कि ईश्वर की सत्ता को दरकिनार करते हुए केवल स्वयं के उत्थान में लिप्त रहता है I ईश्वर से मांगता रहता है व उसके द्वारा प्रदत्त संसाधनों का आवश्यता से अधिक उपभोग करता है कारण लालच, संचय व मुझे क्या लेना देना जैसी सोच Iफिर प्राकृतिक त्रासदी,मानव जनित आतंकवाद, मानव निर्मित प्रदूषण आदि समस्याओं पर हो हल्ला क्यों?
दिल्ली विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से एक जंहा प्रदूषण कम करने के लिए आंशिक प्रयास तब शुरू हुए जब पानी सर से ऊपर चला गया I प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत कार्य ऐसा लगता है जैसे पानी पीने के लिए फटाफट कुआँ खोदना I केदारनाथ त्रासदी क्यों हुयी उसका प्राकृतिक व भौगौलिक आकलन किये बिना केदारनाथ जाने का नया रास्ता तैयार करना I भूकंप की चेतावनियों के बाद भी पहाड़ों के साथ छेड़ – छाड़ व चेन्नई और जम्मू & कशमीर में भीषण बाढ में सहयोगी अवैध खनन व निचले हिस्सों व नदी द्वारा छोड़ दी गयी जगहों पर भवन निर्माण को दरकिनार कर केवल पर्यावरण के बढ़ते तापमान को दोष नहीं दिया जा सकता I चिंता का विषय है जनवरी के महीने में मैदानी इलाकों में बढ़ता तापमान और पहाड़ों पर अत्यधिक बर्फवारी I 40 पेड़ काटकर 240 नए पौधे लगा देने का विचार उसी तरह से है जैसे चीन में दूसरे बच्चे की नीति लागू करना I फैक्ट्रीज में जवान कर्मचारियों की कमी आज है और मिलेंगे 20 – 21 साल बाद I इसलिए हर समस्या के उन्मूलन के लिए समस्या पैदा होने से पहले तैयारी करना आवश्यक व समाज की सहभागिता बराबर से जरूरी I
विकास की दौड़ में जितना हम प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं उतना ही प्रथ्वी को रसातल में ढकेल रहे हैंI विकास करना गलत नहीं है लेकिन मनुष्य अपने स्वभाव से मजबूर होकर हर अच्छी विधा के दुष्परिणाम दिखा देता है जैसे उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम्ब का ब्लास्ट करके भारी भरकम भूकंप ला दिया I समय है गहन चिंतन व वैशविक समाज को सचेत करने का कि अगर अब भी नहीं सुधरे तो या तो प्रथ्वी एक दिन आग का गोला बन जायेगी या फिर जलमग्न हो जायेगीI कृपया प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करें I

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