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शनि शिंगणापुर विवाद

Social issues
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महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर में शनि चबूतरे पर चढ़ कर शिला पर तेल चढ़ाना महिलाओं के लिए प्रतिबंधित है I इस प्रतिबन्ध के विरोध में आवाज़ उठाई जा रही हैI इसी तरह से मुंबई में स्थित हाजी अली के दरगाह में प्रवेश पर प्रतिबंध के खिलाफ महिला संगठनो ने आंदोलन शुरू कर दिया है Iक्या यह नारी शशक्तिकरण है ? क्या ये आंदोलन नारी शशक्तिकरण के लिए अभियान हैं ? या फिर क्या इसके द्वारा भी राजनीतिज्ञ कुछ हित लाभ तलाश रहे हैं ?
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी के अनुसार शनि ग्रह है देवता नहीं है I इस लोजिक से तो चन्द्रमा प्रथ्वी का उपग्रह है और महिलाओं को करवाचौथ वाले दिन भूखे प्यासे रहकर चन्द्रमा को अर्घ नहीं देना चाहिएI ज्योतिषाचार्य शनि को क्रूर ग्रह कहते हैं व उनकी सीधी और वक्री द्रष्टि के प्रभाव से बचने के लिए विभिन्न कर्म काण्ड बताते हैं उनमें से एक शनि शिला पर तेल चढ़ाना भी है I क्या इस क्रूर ग्रह के प्रभाव से महिलाएं मुक्त हैं ? शनि को न्याय का देवता भी कहा जाता है और मानव को उसके बुरे कर्मों का दंड देने वाला देवता भी कहा जाता है I क्या शनि की अदालत में महिलाओं के विरुद्ध वाद दायर नहीं होता ? यदि होता है तो उन्हें भी न्याय की भीख मांगने से रोकना अन्याय है I
मैं कुछ ऐसे शंकर जी के मंदिरों को जानता हूँ जहाँ पर शिवलिंग के पास जाकर महिलाओं के द्वारा पूजा अर्चना वर्जित है लेकिन विशेष अवसरों जैसे सावन माह के चारों सोमवार पर व शिवरात्रि जैसे अवसरों पर महिलाएं पूजा अर्चना कर सकती हैं I इस तरह के प्रतिबंधों के लिए किसी के पास कोई भी तर्कसंगत जवाब नहीं है I शिवजी तो देवों के देव महादेव हैं फिर ऐसे प्रतिबन्ध क्यों ? अभी मुस्लिम महिला संगठन की किसी सदस्या ने पत्रकारवार्ता में कहा की महिलाएं इतनी समझदार हैं कि वो स्वयं ही पाक होंगी तभी दरगाह में प्रवेश करेंगी I क्या रजस्वला स्त्री नापाक होती है ? क्या रजस्वला होना प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं है ? हाँ ठीक है पहले रजस्वला होने पर महिलाओं को घर में खाना बनाने तक से मुक्ति दे दी जाती थी तथा उन्हें भूमि शयन के लिए मजबूर किया जाता था I अब तो महिलाओं को घर से लेकर बाहर तक के कार्य करने होते हैं आज कोई भी उनसे किसी भी परेशानी जैसे हल्का बुखार आदि की भी बात नहीं पूछता कारण साथ में रहने वाले समस्त परिवार के सदस्यों की दिनचर्या वाधित हो जायेगी I क्या घर बाहर व परिवार सबकी जिम्मेदारी संभाल कर महिलायें अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रही हैं या कोई दंड स्वेच्छा से भुगत रही हैं ?
पूजा अर्चना करना महिलाओं का पुरषों के बरावर अधिकार है इसे कोई भी धर्म प्रतिबंधित नहीं करता I प्रतिबन्ध कुतसित विचारों वाला पुरुष समाज लगता है I जिसे धर्मग्रंथो के आधार पर प्रमाणित करने का प्रयास करता है Iजिनसे सामान्यजन अनभिज्ञ है और धर्मगुरु व ज्योतिषाचार्य धर्मग्रंथों व शास्त्रों को व्याख्यित करके भगवान व धर्म के नाम पर डराते धमकाते रहते हैंI भगवान ने तो मानव की रचना “स्त्री और पुरुष” एक इकाई के रूप में की जो एक दूसरे के बिना अधूरे हैं I भगवान शिव पुरुष हैं तो माता पार्वती प्रकृति I फिर प्रकृति पर प्रतिबन्ध कैसे और क्यों ?

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