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घूंघट में जब तुझे उसने देखा
तेरा दीवाना हुआ,
समां का परवाना हुआ
मस्ती का मस्ताना हुआ
वाह रे दीवाने तेरा भी क्या कहना घूंघट में देख कर ही तू उसका दीवाना हो गया. कहीं वह राखी निकली तो बेटा वह तेरा भी इन्साफ कर देगी, मीका की तरह तेरा भी सूपड़ा साफ़ कर देगी, जरा बचना ऐसी से वरना तुझे भी बदनाम, सरे आम कर देगी.
यह घूंघट भी पहेली समान है. लल्लन जी जब अपनी शादी के लिए लड़की देखने गए तो लड़की को घूंघट में देख फ़िदा हो गए और झट से शादी के लिए भी तैयार हो गए. वह दिन है और आज का दिन है सभी से कहते फिरते हैं कि काश! अगर मैंने घूंघट में झांक कर देख लिया होता तो मैं भी आज जी रहा होता. लेकिन लल्लन जी, आप अभी भी तो जिन्दा हैं यह सुन लल्लन जी कहते हैं कि यह जीना भी कोई जीना है, ऐसे जीने से भली तो मौत है. कमबख्त एक बार आती है, लेकिन मेरा जीवन एक काली रात है जो रोज़ आती है और रोज़ तड़पाती है.
[audio:https://www.jagran.com/blogs/audio/wp-content/uploads/sites/724/2011/04/Ghoonghat_Mein.mp3|titles=Ghoonghat_Mein]
ऑडियो में सुनिए घूंघट का एक और किस्सा
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