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नास्त्रेस्देमस और विश्व विध्वंस के कालजयी हथियार आज से लगभग २५० वर्षों पूर्व महान भविष्यवेत्ता “नास्त्रेस्देमस” ने उस समय जो भविष्यवाणियाँ की थी,उनमें से अब तक हज़ारों अक्षरशा सत्य हो चुकी हैं,परन्तु कोई भी भविष्यवाणी घटना से पूर्वाभास न दे सकी.घटना के बाद जब भविष्यवाणी को इस सन्दर्भ में देखा गया,तो वो नास्त्रेस्देमस की भविष्यवाणी से पूर्ण साम्यता दर्शाती है.
नास्त्रेस्देमस ने पृथ्वी से मानव के अंत,अर्थात प्रलय के विषय में बड़ा स्पष्ट वर्णन अपनी भविष्यवाणी में किया है,जैसे एक स्थान पर नास्त्रेस्देमस लिखते है,……………….”मै देख रहा हूँ,कि एक आग का गला पृथ्वी कि ओर बाद रहा है,जो धरती से मानव के काल का कारण बनेगा”……………………………………..”एक अन्य जगह नास्त्रेस्देमस लिखते हैं,कि एक आग का गोला समुन्द्र में गिरेगा,और पुरानी सभ्यता के समस्त देश तबाह हो जायेंगे”………………………………………….इस विवरण से ये अंदाजा सहज ही लगता है,कि धरती का विनाश जब भी होगा,अन्तरिक्ष/आकाश से गिरे किसी आग के गोले से होगा…….और ये गोला या तो कोई बड़ा उल्का पिंड हो सकता……या अपनी राह से भटका कोई धूमकेतु……….जो धरती से टकराएगा………..और मानव वंश का विनाश करेगा………………
वैज्ञानिकों/भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार कोई उल्का पिंड यदि हिंद महासागर में बंगाल की खाड़ी के समीप यदि गिरता है,तो अधिकांश्य पुरानी सभ्यता के देशों पर इसका प्रभाव पड़ेगा………..जैसा की नास्त्रेस्देमस की भविष्वाणी में दिया गया है. .वैज्ञानिकों के अनुसार सिद्धान्त्ता ऐसा संभव है,यदि कोई बड़ा उल्का पिंड या अन्य आकाशीय पिंड जब पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है,तो तीर्व घर्षण और संघात से वो पिंड जलने लगता है………………..और ऐसा ही कोई बड़ा आकाशीय पिंड जो इतना बड़ा हो,कि वातावरण में प्रवेश के वाद,पृथ्वी कि सतह तक पहुँचने से पूर्व,उसका कुछ हिस्सा जलने से रह जाए,तब ये बचा हुआ भाग जब धरती से टकराएगा……….तो इस टक्कर से भीषण ऊष्मा और उर्जा उत्पन्न होजायेगी,जो कई हज़ार परमाणु बम,अथवा कई सौ हाइड्रोजन बमों के विस्फोट से उत्पन्न ऊष्मा और उर्जा के बराबर होगी…………….जिससे कई सौ किलोमीटर दूर तक कि धातुएं पिघल जायेंगी,और उसके आगे तक बहुत बड़ी परिधि तक वायुमंडल कि आक्सीजन इस भीषण विस्फोट से ख़त्म हो जायेगी………….तब कई हज़ार किलोमीटर तक मानव तो किया,जीवों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. नास्त्रेस्देमस ने चीन द्वारा वैक्टीरिया बम के आविष्कार और युध्य में उसके रयोग करने की भविष्वाणी भी २५० वर्ष पूर्व की थी,जब किसी वैक्टीरिया बम की कल्पना भी किसी ने नहीं की थी.
इसके आलावा नास्त्रेस्देमस ने “भारत के प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी” के संवंध में भी भविष्यवाणी की थी कि………..”एक युवा पायलट राजनीति में आएगा…..और राज्य करेगा…………………एक काली महिला द्वारा मारा जाएगा………..इस घटना में ७० लोग कालकलवित होंगे”……………………………………..सबसे अधिक ध्यान देने योग्य बात ये है,कि २५० वर्ष पूर्व हवाईजहाज का आविष्कार तो दूर,गुब्बारे तक का आविष्कार नहीं हुआ था…..जबकि नास्त्रेस्देमस ने आश्चर्यजनक रूप से “युवा पायलट” शव्द का प्रयोग किया है. राजीव गाँधी से संवंधित ये भविष्वाणी अक्षरशा सिध्ध हो चुकी….राजीव गांधी युवा तो थे ही,पायलट भी थे,………..और बाद में राजनीति में भी आये,और देश के प्रधानमन्त्री भी बने………………..बाद में एक चुनाव रैली में “श्री पेराम्बुदुर” में “लिट्टे” समर्थित एक दक्षिण भारतीय आत्मघाती मानव बम के रूप में एक काले वर्ण की महिला”नलिनी” ने कमर में बांधे आर.डी.एक्स. विस्फोट से राजीव गांधी की हत्या कर दी……………
और आश्चर्यजनक रूप से कुल १७ व्यक्ति इस दुर्घटना में मारे गए. इस विस्फोट के बाद प्रथमतय: राजीव गांधी के शरीर के क्षत-विछत टुकड़ों से एक टांग में पहने गए सफेद जूते से उनकी हत्या की पुष्टि की गयी. इंदिरा गांधी के संवंधित भविष्यवाणी में अब से २५० वर्ष पूर्व नास्त्रेस्देमस ने लिखा था…………..”गंग देश में एक महिला शासन करेगी,और बाद में अपने सुरक्षाकर्मियों के द्वारा उसकी हत्या की जायेगी”………….ये भविष्यवाणी भी सत्य सिद्ध हो चुकी है……………..वर्ष १९८४ में इंदिरा गांधी को उनके ही अंगरक्षकों “सतवंत सिंह और केहर सिंह ” ने श्रीमती गांधी के निवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी.उसके बाद भड़के देशव्यापी जातीय दंगों में सैकड़ों सिख मारे गए अथवा उनकी संपत्तियां नष्ट हुईं. इसके अलाबा नास्त्रेस्देमस ने “टाइटेनिक जहाज़” के डूबने,तुतेनखामेन के मकबरे की हाराबर्तकार्टर द्वारा खोज,मामी के श्राप से उनकी आकस्मिक मृत्यु,हिटलर और मुसोलिनी विजय पराजय और मृत्यु,तुतेनखामेन की मामी,स्वं की मृत्यु उपरान्त नास्त्रेस्देमस की कब्र को खजाने की चाह में खोदे जाने की भविष्यवाणी,अपने जीवन काल में ही तिथि सहित ताम्रपत्र पर अंकित करवाना,और अंतिम वसीयत में उक्त पट्टिका को मृत्यु उपरान्त कब्र में अपने सीने पर रखवाना,नेपोलियन के उत्कर्ष और पराजय,परमाणु बम के आविष्कार,युद्ध में प्रयोग और प्रलय आने,विश्व में इस्लाम के प्रभुत्स और मेहँदी के जन्म की भविष्यवाणी,आदि आश्चर्यजनक भविष्यवानियाँ भी नास्त्रेस्देमस ने की थी,अंतिम को छोड़कर वाकी सभी सिद्ध हो चुकी हैं.
आकाश से आये उल्का पिंड या क्षुद्र पिंड अथवा धूमकेतु से * ऐसे ही एक धूमकेतु की टक्कर “वृहस्पति” ग्रह से नववे के दशक में हुई थी,जिसकी वैज्ञानिकों ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी,और इस भीषण टक्कर का सीधा प्रसारण (लाइव टेलीकाष्ट) समस्त विश्व में टेलिविज़न पर दुर्वीनों की सहायता से किया था……..इस टक्कर से “वृहस्पति ग्रह” पर भीषण विस्फोट के साथ,धुल और मिटटी का अग्नि मिश्रित गुब्बार वृहस्पति की सतह से कई किलोमीटर ऊपर उत्ता था,और ये गुब्बार कई माह तक वृहस्पति की सतह पर छाया/ढका रहा था,विस्फोट स्थल पर कई सौ मीटर के गड्ढे हो गए थे…….इसी घटना से वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर संभावित उल्कापिंड/धूमकेतु/पुच्छल तारा की टक्कर का पूर्व आकलन का आधार बनाया .
* वैज्ञानिकों परिकल्पना/सिद्धांत के अनुसार,पृथ्वी से डाइनासोर,मैमथ,हिम मानव आदि का अस्तित्व समाप्त हुआ था,अधिकांश्य वैज्ञानिक इसी सिद्धांत का समर्थन करते है.
* हमारी पृथ्वी पर सहारा रेगिस्तान के निर्माण में भी ऐसी ही किसी भीषण भिडंत को उत्तरदायी माना जाता है. * चंद्रमा की सतह पर पाए जाने वाले विशालकाय खड्ड,गड्ढे भी उल्का पिंडो की टक्कर का परिणाम माने जाते है.
* अमेरिकी संस्था “नासा” के एक अध्ययन के अनुसार,एक वर्ष की अवधि में लाखों आकाशीय पिंड हमारे वातावरण में प्रवेश करते हैं,परन्तु अधिकांशतय: धरती की सतह तक पहुँचने से पूर्व ही जल जाते है,और इन्हें नंगी आँखों से देख पाना संभव नहीं है.
* नासा ” प्रत्येक पल धरती के वायुमंडल में प्रवेश करने वाले क्षुद्र पिंडों/आकाशीय पिंडों की हर पल निगरानी करता है,और उनसे संवंधित आंकड़े एकत्र कर अनुसन्धान कर रहा है…………..इस अध्ययन का मूल आधार,ऐसे किसी पिंड के किसी देश की सीमा में गिरने पर,अथवा परमाणु वाम के आक्रमण में संदेह एवं अंतरोध की संभावना को समाप्त करना है,…………….ताकि किसी देश पर गिरे उल्का पिंड को वो देश परमाणु बम का आक्रमण संदेह न कर बैठे,और अकारण परमाणु युद्ध प्रारम्भ होने की संभावना समाप्त की जा सके.
* सामान्यत: पुच्छल तारा अपनी एक दीर्घ वृत्तिय कक्षा में सूर्य के चारो और घूमता है,और पुच्छल तारे सामान्यत: ठोस चट्टानों,धूल का गुब्बार और गैसों की संकलित रचना होती है,जिसका मुख्य और ठोस भाग सामान्यत: आगे और धूल गुब्बार एवं गैसों से बनी विरल झाड़ू सामान रचना,जिसे पूंछ कहते है,……..पूंछ वाला भाग सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में रहता है.
* धूमकेतु/पुच्छल तारे हमारी पृथ्वी के समीप से एक निश्चित अंतराल के बाद और निश्चित दुरी से गुज़रते हैं,परन्तु कभी-कभी अपरिहार्य कारणों वश अथवा किसी ग्रह या तारे के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से इनकी कक्षा में थोडा अंतर भी आ सकता है.
* हैली धूमकेतु प्रत्येक ७६ वर्षों के वाद पृथ्वी के अरीव से गुज़रता है,पिछली वार ये वर्ष १९८६ में धरती के समीप से गुज़रा था,जिसकी वैज्ञानिकों ने पूर्व भविष्वाणी कर दी थी…………………………इस धूमकेतु के पृथ्वी के कर्रेब से ७६ वर्ष (या ७० वर्ष) गुजरने (दिखाई देने) की घटना का उल्लेख “पवित्र कुरआन” में भी है.
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