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भारत विश्व के उन दुर्लभ देशों में से एक है,जहाँ कि मिटटी में (उपरी परत में) मूल्यवान रेडियोधर्मी तत्व “युरेनियम” पाया जाता है
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भारत में “दशमलव” कि खोज हुई
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शून्य का आविष्कार भारत में हुआ
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भारत : एक प्राकृतिक धरोहर
जब जीरो दिया मेरे भारत ने,दुनिया को तब गिनती आयी
तारों की भाषा दुनिया को,भारत ने ही पहले सिखलाई
देता न दशमलव भारत तो,यूँ चाँद पर जाना मुश्किल था
धरती और चाँद के मध्य,दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहाँ पहले जन्मी,जन्मी जहाँ पहले कला
मेरा भारत वो भारत है,जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बड़ा
भगबान करे ये और बड़े,बढता ही रहे,और फूले फले…………………………………………………………………….
अभिनेता मनोज कुमार कि देशभक्ति
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वर्तमान काल के किसी एक देशभक्त का नाम अगर मुझसे पूछा जाये,तो मुझे निसंकोच ये कहते हुए गर्व होगा कि श्री मनोज कुमार,अभिनेता एवं फिल्म निर्माता जिन्होंने उपकार एवं “पूर्व और पश्चिम जैसी” कालजई देशभक्ति (विशुद्ध) कि फ़िल्में दीं.
सचमुच अभिनेता मनोज कुमार एक अच्छे देशभक्त कहे जा सकते है,जिनकी आत्मा में राष्ट्र प्रेम समाहित है,उन्होंने कभी अपनी राष्ट्र भक्ति को प्रायोजित और प्रचारित नहीं किया,अपितु गीता के सद्वाक्य “तू कर्म कर,तुझे कर्मफल कि इच्छा नहीं करनी चाहिय” आत्मसात कर सच्चे मन देश के प्रति अपने योगदान को समर्पित कर दिया………आज हमें ऐसे ही देशभक्तों कि आवश्यकता है,जो राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निस्वार्थ पालन करें.
वास्तव में भारत को प्रकृति ने “सर्व गुण संपन्न” राष्ट्र और वृहद जैव सम्पदा से समर्ध किया है,भारत सदेव से बौद्धिक एवं अध्यात्मिक ज्ञान का केंद्र रहा है.इसके अतिरिक्त विशुध्य बीजगणित का ज्ञान समस्त संसार को दिया,भारत से ये ज्ञान अरब के माध्यम से पूरे विश्व में फैला ,और अरबियों ने बीजगणित को “इल्मे-हिंदिया” नाम दिया.
भारत का भूवैज्ञानिक महत्त्व
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यदि हम सृष्टि के प्रारंभ से भारत कि स्थिति पर नज़र डालें,तो पृथ्वी के निर्माण के उपरान्त समस्त महादीप एक साथ जुड़े हुए थे,जोकि आधुनिक भारत के चारो और ही केन्द्रित थे,और उसका भौगोलिक नाम “gondwana” महादीप था,जिसके केंद्र में” पृथ्वी का एकमात्र महासागर “टेथीज़” अवस्थित था,तदुपरांत करोनो वर्षों तक धरती की आंतरिक हलचलों और पिलेट विस्थापन के द्वारा गोंडवाना महादीप के कुछ हिस्से इससे दूर हटते चले गए,और वर्तमान महादीप दक्षिणी और उत्तरी अमेरिका,अफ्रीका,अष्ट्रेलिया,अन्टार्क्टिका,आदि महादीप अस्तित्व में आये.साथ ही टेथीज़ महासागर कालांतर में प्रशांत महासागर,अटलांटिक महासागर ,हिंद महासागर,अरब सागर आदि में परिवर्तित हो गया.और तेथीज़ महासागर का ताल कालांतर में धीरे-धीरे ऊँचा उठना (संभवता महासागर तल में सिल्ट /गाद धीरे-धीरे एकत्र हो जाने से गाद के भार दवाव से) प्रारंभ,और वर्तमान हिमालय पर्वत श्रंखला का पर्दुभाव हुआ,जिसे भारत का मुकुट कहते हैं,और जो भारत भूमि की गरिमा और मर्यादा का प्रतीक वन गया.
भूवैज्ञानिकों के आधुनिक शोध और सिद्धांतों के अनुसार हिमालय पर्वत श्रंखला विश्व का सबसे नवीनतम पर्वत श्रंखला
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(और दक्षिण की अरावली पर्वत श्रंखला विश्व की सबसे पुरानी पर्वत श्रंखलाओं में से एक) है.हिमालय पर्वत आज भी नवनिर्माण
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की प्रक्रिया में है,और अनुसंधान कर्ताओं के अनुसार देश की समृधि और जन-जन की आस्था की प्रतीक जीवनदायिनी पवित्र गंगा नदी “तेथीज़” महासागर की अवशेष चिन्ह है,जिसकी पुष्टि गंगा के समीपतम क्षेत्रों और पहाड़ों की खुदाई के दौरान मिलने वाले समुंदरी जीवों के अवशेषों की प्राप्ति से भी होती है.
सभी धर्मों का केंद्र विन्दु भारत भूमि रहा है
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हिन्दू धर्म तो भारत की सनातन पहचान है,जिसका उद्वाभ और प्रसार का भारत भूमि रहा है,इसके अतिरिक्त भगवान् बुध्य और भगवान् महावीर की जन्मस्थली और निर्वाण का केंद्र भी भारत भूमि ही रही है,एवं दोनों धर्मों से महत्वपूर्ण धर्मस्थल भी भारत में ही अवस्थित हैं,साथ ही साथ सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की जन्म भूमि,और सिख धर्म का उद्भव भी भारत मेंही हुआ.
इस्लामी धर्म ग्रंथों,और साहित्य के अनुसार प्रथम मानव “आदम” को स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण भारत भूमि के “सरहिंद” अथवा “सिंध” दीप हुआ,जबकि बीबी हब्बा को जार्डन की भूमि पर अवतरित किया गया,और आदम का निर्वाण एवं अंतिम संस्कार भी भारत की भूमि पर ही हुआ,उसके उपरान्त आगामी कई अन्य पैगम्बर जैसे पैगम्बर सीश भी भारत में अवतरित हुए,और मुस्लिम विद्द्यनों के अनुसार पैगम्बर सीश का माजर आधुनिक उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जनपद के समीप स्थित है.
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार “पैगम्बर नूह” के समय में आई वाढ़ की घटना का केंद्र भारत भूमि रहा है,और पैगम्बर नूह की कश्ती भारत में “जूडी पर्वत “पर जाकर वाढ़ के दौरान पहुंची थी,जहाँ उन्होंने पुन: अदम का ताबूत दफनाया था.
“# ये भी अति महत्वपूर्ण सत्य है कि संसार के अधिकांश धर्मों में “पैगम्बर नूह” के काल में आई इस जल प्रलय का विवरण मिलता है.
पैगम्बर नूह बनाम मनु
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विद्वान इतिहासकार लेखिका “रोमिला थापर” के द्वारा लिखित प्राचीन भारत से सम्बंधित पुस्तक में वेदों के हवाले से विवरण दिया गया है कि,हिन्दू धर्म में प्रथम मानव “मनु” से सृष्टि का प्रारंभ माना गया है,उनके अनुसार प्राचीन काल में कई मनु हुए,और सबसे अधिक प्रसिद्ध नवं मनु हुए,जिनके काल में जल प्रलय आई,उन्हें उक्त प्रलय कि पूर्व भविष्वाणी प्राप्त हो गयी थी,और उनहोंने स्रष्टा के आदेश पर लकड़ी कि एक नाव बने,और सभी जीवों का एक -एक जोड़ा उसपर रखा,और जब जल प्रलय आई,तो नाव जल में तैरने लगी,और भगवान् विष्णु ने मछली का रूप धारण कर,उस नाव को एक ऊँचे पर्वत पर ठहरा दिया,और अधर्मियों का संसार से नाश हो जाने के उपरान्त,बाढ़ समाप्त हनी पर मनु नवं नीचे आकर रहने लगे,और नवीन संतति का प्रारंभ हुआ”
पैगम्बर नूह बनाम इसाई एवं यहूदी धर्म
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इन दोनों धर्मों में भी संत नोहा के जीबन में आई प्रलय का ऐसा ही मिलता जुलता विवरण उपलव्ध है,और एक एनी महत्त्व पूर्ण बात ये है,के चाहें इस्लाम के पैगम्बर नूह हों,या हिन्दू धर्म के मनु,और इसाई धर्म व् यहूदी धर्म के संत नूह हों,यदि इन्हें आंग्ल(अंग्रेजी) भासा में लिखा जाए,तो सभी कि स्पेल्लिंग लगभग सामान ही होती है.
अर्थात सभी धर्मों कि आस्था का केंद्र प्रारंभ से आज तक हमारा भारत रहा है,और सम्पूर्ण विश्व को अध्यात्मिक शक्ति से ओतप्रोत करता रहा है.ये वोह भूमि हैं जहाँ दिव्य आत्माएं जन्म लेतिरही हैं,और संसार के किसी अन्य देश में ना तो इतने अवतार पैदा हुए,न अध्यात्मिक गुरु,धर्म के क्षेत्र में भी भारत सिरमौर रहा है.
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