Menu
blogid : 1814 postid : 165

मसाला तड़का

Achche Din Aane Wale Hain
Achche Din Aane Wale Hain
  • 50 Posts
  • 205 Comments

मुल्ला नसीरुद्दीन झल्लाए हुए घर से निकले,और तमतमाए हुए गली में जा रहे थे,आज लगता है गुलबदन से मुल्ला का तीखा युध्य हुआ है,गली की एक छत से ईंट आकर बिलकुल मुल्ला के जिस्म को छूकर गिरी,मुल्ला का पारा तो सातवें आसमान पर पहुँच गया,मुल्ला गर्म खून के इंसान जो ठहरे. मुल्ला ने गिरी ईंट उठाई,ऊपर छत की ओर देखा,लगभग दहाड़ते हुए बोले,कौन है वे,……….छिपकर किया बार करता है,हिम्मत है तो सामने आ,………..हम भी ऐरे-गैरे नहीं,खानदानी सूरमा हैं,बो पटखनी देंगे,रात को सूरज नज़र आने लगेगा,…………हमारे खालू का नाम नहीं सुना है,अमां खलील खान,जो उड़ाकर फाख्ता मारते थे,………..वैसे तो निशानची हम भी कम नहीं हैं. जब मुल्ला ने देखा,के ऊपर से कोई जवाब नहीं आया,तो मुल्ला का हौंसला कुछ ज्यादा ही बड़ गया,सोचा आज लग रहा है मोहल्ले में अपनी धाक जमाने का अच्छा मौका है. मुल्ला तैश में आ गए,ईंट उठाई,और उसी छत की सीड़ियों चड़ते हुए ऊपर जाने लगे, आज अगर इसी ईंट से ईंट गिराने वाले का खोपडा न फोड़ दिया,तो कहना,साले की चटका दूंगा,अब चांहे पैर पकडे,गिडगिडाए,या रोये धोये,आज छोडूंगा नहीं. पर ऊपर पहुँच कर तो मामला ही बिगड़ गया,मुल्ला की तो बड़ी फजीहत हो गयी,मुल्ला का कलेजा पत्ते की तरह फडफड़ाने लगा,ऊपर जा कर देखा तो एक हटटा-कट्टा पहलवान कसरत कर रहा था,मुल्ला के पैरों की खट-पट सुनकर उसने मुल्ला की तरफ घूर कर देखा,और लगभग दहाड़ते हुए बोला,कौन हो?और कैसे आये? अब तो मामला ही उल्टा हो गया,तमतमाने बाले मुल्ला,गिडगिडाने,मिमयाने लगे—-बोले साहब ख़ाकसार मुल्ला नसुरुद्दीन है,आपकी ईंट गिर गयी थी गली में…….मैंने सोचा आपको बेकार दिक्कत होगी आपको,नीचे उतरने में,सो मै ही ऊपर पहुंचाने आ गया,…………………..वैसे मै आपकी ही गली में,बिलकुल आपके करीब में ही तो रहता हूँ,…………..अजी,ये समझलो यहाँ से आप थूकेंगे,तो मेरे घर के आँगन में गिरेगा,और जब भी आपकी छत से कुछ गिर जाये,बस मुझे आवाज़ देदेना,मै आपकी चीज़ लाकर आपकी खिदमत में रख दूंगा,अजी मेरे होते हुए आपको नीचे उतरने में दिक्कत हो,ये मुझे शोभा नहीं देता. खैर मुल्ला ईंट रखकर,जैसे-तैसे बापस हुए,तो पहलबान को अन्दर-ही-अन्दर सैकड़ों गालियाँ दे डाली,मन-ही-मन दिल को तसल्ली दी,कि किसी दिन ज्यादा गुस्सा आ गया मुझे,तो साले का टेंटुआ पकड़ कर न मसल दिया तो मेरा नाम भी मुल्ला नसरुद्दीन नहीं. कुछ दिनों के बाद एक दिन मुल्ला जब शहर कि गलियों में घूम घाम कर घर आये,तो देखा कमरे में गुलबदन के साथ कोई दूसरा आदमी रजाई ओड़कर सो रहा है,बस मुल्ला का पुश्तैनी जलाल हाबी हो गया,खून खौल गया मुल्ला का,कि मेरी बीबी के साथ दूसरा गुलछर्रे उड़ाए,बर्दाश्त से बाहर बात हो गयी. ……………मुल्ला तैश में आकर तलबार लेने को दौड़े,कि जो भी हो आज हलाल कर दूंगा,पर फिर सोचा,कि तलवार से बार करना यकीनी नहीं,थोडा-बहुत आड़ा- तिरछा पड़ गया तो साला बचकर भाग भी सकता,सो मुल्ला ने तलवार से काटने का प्लान त्यागकर,बन्दुक लेने दौड़े मुल्ला,कि आज साले को गोलियों से भून दूंगा,न रहेगा का बांस……न बजेगी बांसुरी………पर बन्दूक के करीब पहुंचकर मुल्ला ने सोचा,कि पहले एक बार रजाई हटाकर चेहरा देख लेना चाहिय,कि साला है कौन…………….फिर मारूंगा गोली………….. मुल्ला दवे पाँव,पलंग के करीब आये,धीरे से रजाई हटाकर जो देखा,तो मुल्ला को पसीने आ गए,बीबी के साथ तो बही पहलबान लेता है,जो रजाई हटाने से जाग गया था. पहलबान गुस्से में बोला,क्यों बे मुल्ला मेरी रजाई हटाने कि जुर्रत कैसे कि,…………..मुल्ला तो पीले पड़ गए……….घिघी बंद गयी मुल्ला कि,यहाँ तो लेने-के-देने पद गए….बोले मै ये देख रहा था,कि इतनी ठण्ड है,कंपकपी छूट रही है,और इस हरामखोर गुलबदन ने आपको एक पतली सी रजाई में लेटा रखा है आपको,आपको तो नींद भी नहीं आ रही होगी,इतने जाड़े में,………………..सो अभी लाकर एक और रजाई आपको देता हूँ……………आप आराम से सोयें……………कोई ज़रूरत हो तो बंदा हाज़िर है, अब मुल्ला की तो बड़ी ज़िल्लत हो गयी,यहाँ तो मामला ही संगीन निकला……………….मुल्ला रजाई से पहलबान को ढांप कर,बरामदे में जो आये,तो देखा पहलवान की छतरी रखी है…………. बस मुल्ला को ताव आ गया,उठाई छतरी,लगाकर घुटने पर,तोड़ डाली………..बोले या खुदा पहलबान जब घर को जाए,तो रास्ता में खूब जोर की बारिश हो जाए…………..तब इस पहलवान के बच्चे को पता चलेगा,कि मुल्ला से पंगा लेने का अंजाम क्या होता है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh