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ये इस देश को हो क्या गया है ?………………भ्रष्टाचार यहाँ एक आम बात हो गयी है,…….ख़बरें छपती हैं…… ख़बरें बिकती हैं………..ख़बरें अनसुनी कर दी जाती हैं……………… आज अखबारों के कुछ कालम के शीर्षक तो स्थायी हो गए हैं…………………जैसे……….. “राष्ट्रकुल खेलों में एक और घोटाला”……………….”टू- जी स्पेक्ट्रम का जिन्न “………………कलमाड़ी बयान देनें को राज़ी,पर देश लौटने पर………….. भारत के लेखामहा नियंत्रक (कैग) रिपोर्ट से ये भी खुलासा”…………..अखबार और मीडिया बालों को हो सकता है कि इस जैसे कुछ स्थायी कालम शुरू करने पड़ें…………तब भी शायद कोई आश्चर्य न होगा.
इससे ज्यादा अपमान और शर्म कि बात क्या होगी………..कि माननीय उछ न्यायालय द्वारा मामले का संज्ञान लेते हुए……….भारत के प्रधानमन्त्री से तक स्पष्टीकरण माँगना पड़ जाता है.
इससे ज्यादा लजाने कि और क्या बात होगी,कि देश की सर्वोच्च अदालत को ये टिप्पड़ी करनी पड़ती है कि……….”भ्रष्टाचार का भारत में व्यवसायीकरण हो गया है.हमें सीख लेनी चाहिए अमेरिका से कि वहां एक “वाटर गेट प्रकरण इतना गंभीर मुद्दा बन जाता है,कि राष्ट्रपति से लेकर तमाम कद्दावर लोगों का भविष्य ही समाप्त हो जाता है.
अमेरिका में आज भी “वाटरगेट” प्रकरण एक राष्ट्रीय दुर्भिक्ष/विपदा के सामान याद किया जाता है……………..एक हम हैं बोफोर्स,हर्षद मेहता,विहार चारा घोटाला,सांसद खरीद घोटाला जैसे बड़े और ज्वलंत प्रकरण ऐसे भुला दिए जाते हैं,जैसे गधे के सर के सींग…………….बड़े बड़े घोटाले एक हाजमोला कि गोली खाकर हजम .
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