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ऑनलाइन कारोबार का घातक परिणाम

सामाजिक मुद्दे
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अभी कुछ महीने पहले दुनियाँ के अमीरों की सूची जारी हुयी और ताज्जुब की बात यह है दुनियां भर की संपत्ति का 90 प्रतिशत हिस्सा केवल 1 प्रतिशत लोगों के पास है।वर्तमान कुछ वर्षो में जिस तरीके से कारोबार का नजरिया बदल रहा है उससे निकट भविष्य में छोटे व्यापारियों पर संकट आने की आहट मिलने लगी है।संचार क्रांति से छोटी होती दुनियाँ ने मल्टीमीडिया और ऑनलाइन कारोबार के जरिये व्यापार के असीमित अवसर उपलब्ध करा दिए हैं ।सुई से लेकर जहाज़ तक सब कुछ खरीदने के लिए अब केवल एक एंड्राइड फोन ही पर्याप्त है।फ्लिपकार्ट, अमेज़न ,होमशॉप 18 ,नापतोल,कारबाजार.कॉम,इ बे जैसी सैकड़ो वेबसाइट उपभोक्ता को घर बैठे शॉपिंग के अवसर उपलब्ध करा रही है ।और प्रतिवर्ष ऑनलाइन कारोबार लगभग 12 प्रतिशत की दर से बड़ रहा है।
   ऑनलाइन बाजार का कारोबार जिस रफ़्तार से तेज़ी पकड़ रहा है उसे देखकर लगता है कि निकट भविष्य में छोटे व्यवसायी का कारोबार बंद हो जायेगा।एक पुस्तक बेचने से कारोबार शुरू करने बाली अमेज़न.कॉम आज अपने आप में एक बड़ा बाजार बन चुकी है जहाँ किसी भी व्यक्ति की जरूरतों का सभी सामान आसानी से मिल रहा है।
        किसी भी उपभोक्ता को बाजार जाने पर अपने मनचाहे प्रोडक्ट की तलाश होती है और इस कवायद में उसके घंटो बर्बाद होते है ऑनलाइन शॉपिंग में उसे अपने प्रोडक्ट को आसानी से सर्च करने ,कंपेयर करने, प्रोडक्ट रिव्यु देखने और कस्टमर के कमेंट जानने के साथ वेहतर डिस्काउंट ऑफर मिलते हैं जिससे व्यस्त और नौकरी पेशा लोगों का कीमती समय बचता है इन सब खूबियों के कारण ऑनलाइन शॉपिंग लोगोँ के लिए सबसे फायदेमंद और आसान बाजार साबित हो रहा है।
    पर यह ऑनलाइन शॉपिंग अप्रत्यक्ष रूप से भारत के छोटे व्यवसाइयों के लिए घातक साबित हो रहा है।ऑनलाइन शॉपिंग के बड़ते क्रेज के कारण बाजार की चमक फीकी पड़ना तय है।लोगों के पास ऑनलाइन बाजार में बड़ी प्रोडक्ट रेंज बाजार से सस्ती दरों पर उपलब्ध होने के कारण लोग अपनी पसंद की चीज को ऑनलाइन मंगाने में प्राथमिकता देने लगे हैं वहीँ कुछ लोग बाजार जाने से पहले ऑनलाइन कीमत जांचकर दुकानदार से कम रेट में प्रोडक्ट खरीदने की जिद करते हैं।ऑनलाइन बाजार में हर तरह की बस्तु उपलब्ध होने से लोग बिना बाजार जाए ही अपनी पसंद के प्रोडक्ट का चयन पहले ही कर चुके होते हैं। छोटे जनपदों में जहाँ दुकानदार कुछ प्रोडक्ट के साथ या गिनी चुनी कंपनी के साथ व्यापर करते है और लोगों को मनचाही बस्तु उपलब्ध नहीं होती थी वहां भी अब लोगों को बड़े शहर जाये बिना मनचाही बस्तु खरीदने का विकल्प मिल रहा है।
    इस व्यवसाय के बहुत से लाभ होने के बाद भी भारी नुकसान है।भारत जैसे प्रगतिशील देश में जहाँ विदेशी कंपनी को अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए कई क़ानूनी चरणों से गुजरने के बाद अपने आउटलेट खोलने की मंजूरी मिलती थी और अगर उपभोक्ता को उस कंपनी के प्रोडक्ट में रूचि ना हो तो कंपनी को भारी नुकसान होता था पर ऑनलाइन बाजार के माध्यम से विदेशी कंपनी आराम से भारतीय बाजार में अपनी जगह बना रहीं है और भारत का पैसा विदेश जा रहा है। ऑनलाइन बाजार में कंपनी अपने प्रोडक्ट सीधे उपभोक्ता के हाँथ में पहुचाती है जिससे उसे सुपर स्टॉकिस्ट, स्टॉकिस्ट और रिटेलर का मार्जिन नहीं देना पड़ता है और इस बचे मुनाफे में कुछ हिस्सा वह उपभोक्ता को देकर उन्हें आसानी से आकर्षित कर लेते है हालांकि उपभोक्ता को इसमें सीधा फायदा मिलाता है पर इससे स्थानीय व्यापार में सुपर स्टॉकिस्ट और स्टॉकिस्ट के साथ रिटेलर बेरोजगार होते जा रहे है और लाभ केवल कंपनी और प्रोडक्ट बेचने बाली वेबसाइट तक ही सिमट रहा है जिससे वेरोजगारी की समस्या बढ़ना तय है। भविष्य में विदेशी बस्तुओं की आदत पड़ने से भारतीय बाजार में विदेशी प्रोडक्ट की मांग में जबरदस्त इजाफा होना तय है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना ही है।
  ऑनलाइन बाजार हालाँकि सब कुछ उपलब्ध करवाने में सक्षम है फिर भी अभी यह कारोबार कुछ प्रतिशत लोगों तक ही सीमित है पर अगर एंड्राइड फोन का इस्तेमाल इसी तरह बढ़ता गया तो ऑनलाइन बाजार आगामी दस वर्ष में पूरी तरह वास्तविक बाजार को अपनी गिरफ्त में ले लेगा और यह हमारे देश के हित में ना होगा।

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