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मित्रो आजकल सब लोग आजादी मांग रहे हैं मिलनी भी चाहिए ये हमारा हक़ है। हमने इस आजादी के लिये सैकड़ों साल लड़ाई लड़ी है हमारे पुरखों और स्वतंत्रता के नायको ने बहुत कुछ खोया है।
सैकड़ो वर्ष की गुलामी के बाद जो आजादी मिली होगी और लोगों के दिल में जो जज्बात उठे होंगे उसको दुनियां की कोई कलम शब्दों में नहीं बांध सकती है।1947 में मिली आजादी का तत्कालीन नागरिकों के लिये जो मूल्य था वो समय के साथ धूमिल होता गया और आजादी के मानक और मूल्य बदलते चले गए। आज का युवा परिवार की रोकटोक से आजादी मांग रहा है ,आज की महिला घर की जिम्मेदारी से आजादी मांग रही है ,युवा लडकिया ऊँचे कपडे पहनने की आजादी मांग रही हैं ,छोटे बच्चे स्कूल की पढ़ाई और माँ बाप की डांट से आजादी मांग रहे है ,व्यापारी टैक्स ना भरने की आजादी मांग रहे है ,सरकारी कर्मचारी अपने काम और दायित्व से आजादी मांग रहे है ,प्रदेश सरकार भारत सरकार की रोक टोंक से आजादी मांग रही है, पति अपनी पत्नी की निगाहों से आजादी मांग रहा है, पत्नी अपने पति के परिवार से आजादी मांग रही है, युवा डिग्रियों से आजादी मांग रहा है ,लोग सरकारी टैक्स से आजादी मांग रहे है …….
हमें आजादी चाहिये चोरी करने की ,हमें आजादी चाहिए सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुचाने की ,हमें आजादी चाहिए बिजली चोरी की, हमें आजादी चाहिए किसी भी लड़की को छेड़ने की, हमें आजादी चाहिए किसी को भी गाली देने की, हमें आजादी चाहिये किसी भी धर्म का मजाक उड़ाने की , हमें आजादी चाहिये किसी भी परंपरा पर उंगली उठाने की , हमें आजादी चाहिये दिन भर आवारागर्दी करने की, हमें आजादी चाहिए बुजुर्गो को बेइज्जत करने की, हमें आजादी चाहिए शादी के बाद घर की जिम्मेदारियों से ,हमें आजादी चाहिए शादी के बाद जीवन साथी को छोड़ देने की……….
क्या सरकार हमें ये आजादी देगी ? और अगर सरकार हमें ये आजादी नहीं देगी तो हम आन्दोलन करेगे, तोड़फोड़ करेगे, हड़ताल करेगे ,देश के खिलाफ आंदोलन करेगें, देश के टुकड़े टुकड़े करने की साज़िश करेगें।
वास्तब में आजादी की परिभाषा बहुत खतरनाक है हर व्यक्ति किसी ना किसी से आजादी चाहता है और यही हाल रहा तो देश में प्रत्येक सप्ताह कोई ना कोई आंदोलन शुरू हो जायेगा और प्रत्येक आंदोलन को उस आजादी की चाह में समर्थक भी मिल जायेगे। कुछ विपक्ष में बैठे लोग सरकार की घेराबंदी में सहयोग करेगें ।माता पिता अपनी औलादों को वेगुनाह सावित करने को देश में बने तरह तरह के आयोगों की शरण में जायेगें और आयोग सरकार को नोटिस जारी करेगें । न्यायालय तारीख पर तारीख देंगे और लोकतंत्र का मजाक बनना जारी रहेगा।
वास्तव में हमें आजाद होना चाहिए अशिक्षा से, हमें आजाद होना चाहिये भ्रष्टाचार से, हमें आजाद होना चाहिए कुरीतियों से, हमें आजाद होना चाहिए जातिबाद से , हमें आजाद होना चाहिये क्षेत्रबाद से।
पर हम तो गुलाम हो रहे हैं अपनी बुरी मानसिकता के ,हर पल प्रति पल।
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