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पहले सब अपने आप को अगड़ा दिखाते थे
सभी खुद को राजा, ऋषि की संतान बताते थे
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जब से आरक्षण के फायदे का राज खुला है
पिछड़ा दिखने के चक्कर में हिंदुस्तान आगे बढ़ना भुला है
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कोई रोके रेल सड़के, कोई रोके दिल्ली का पानी है
जातिवाद के नाम पे हिंदुस्तान को झुलसाने की ठानी है
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निजी लाभ में देश के नुकसान से खून खोल जाता है
लेकिन इस बीमारी के फायदे से मेरा मन भी डोल जाता है
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हाँ मुझे में एक क्षेत्र में आरक्षण चाहिए
लेकिन आधा अधूरा नहीं शत प्रतिशत चाहिए
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मुझे आरक्षण चाहिए जहाँ छाती पे गोली खानी हो
मुझे आरक्षण चाहिए जहाँ टैंक के नीचे गर्दन घुसानी हो
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मुझे आरक्षण चाहिए जहाँ दुश्मन के छक्के छुड़ाने हो
मुझे आरक्षण चाहिए जहाँ रणभूमि में लाल गवांने हो
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मुझे आरक्षण चाहिए जहाँ देश के काम आना हो
मुझे आरक्षण चाहिए जहाँ तिरंगे से शरीर लिपटाना हो
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उन्हें मुबारक ये खैरात जिनमे कमी है आत्मविश्वास की
वर्ना मेहनत करने वालो के लिए कब थी कमी आकाश की
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अवधेश राणा
28 अगस्त 2015
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