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मोदी विरोध

राणा जी की कलम से
राणा जी की कलम से
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दोस्तों, मोदी जी के शपथ ग्रहण के साथ ही कलम को थोडा विश्राम देने के बारे में सोच रहा था लेकिन कुछ लोग जो चुनाव से पहले मोदी जी का विरोध करते हुए नहीं थकते थे आजकल नयी सरकार के फैसले पर ऐसे प्रतिक्रिया देते है जैसे मोदी जी के चुनाव में इनका योगदान सबसे बड़ा है |
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अभी रेल भाड़े में वृद्धि के समाचार को ही लीजिये, ऐसे प्रचारित किया जा रहा है जैसे ये पहली बार हुआ है | अभी भी बस के किराये रेल के किरायो से दोगुने है | सरकार किराये कम कैसे रख सकती है जबकि रेल को चलाने के लिए सभी जरूरी साधनों के दाम जैसे की मजदूरी, तेल की कीमते आदि के दाम दोगुने से भी ज्यादा हो चुके है | अगर हमें कुछ चाहिए तो बेहतर सुविधाये, ट्रेन के ज्यादा समय और ज्यादा बड़ा रेलवे नेटवर्क आदि |
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पिछले दिनों प्राकृतिक आपदा की वजह से दिल्ली में बिजली की कमी को विपक्ष ने बड़े जोर शोर से उछाला | पिछले 15 सालो से दिल्ली ने कांग्रेस सरकार थी और इस प्रकार की आपदा से संभावित नुकसान से बचने की योजना बनानी चाहिए थी, किन्तुं राजनैतिक फायदे के लिए कांग्रेस इसका ठीकरा भाजपा पर फोड़ने की कौशिश कर रही है | हमारे एक दोस्त इसीलिए परेसान थे उनके फ्लैट में 12 घंटे तक बिजली नहीं थी | परेशान होना वाजिब भी है क्योंकि बिजली के बिना घर के सारे काम रुक जाते है | लेकिन क्या इन्होने दिल्ली के जमनापार गाज़ियाबाद में बिजली की कटोती के बारे में सुना है? वहां तो इस तरह की कटौती जीवन का हिस्सा बन गयी है |
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हमारे एक छोटे भाई है जो हरियाणा के ही रहने वाले है, पिछले दिनों दिल्ली में बिजली की कमी के चलते काफी दुखी थे | क्या ये बताएँगे कि इनके खुद के गाँव में कितने घंटे बिजली आती है | जो कांग्रेस की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते, कोई इनसे पूछे कि अगर इनके गाँव जाना है तो बस का क्या समय है | लगभग यही स्तिथि हरियाणा के सभी गाँव की है |
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कुछ लोग आजकल सोशल मीडिया पे एक समाचार को बार बार शेयर कर रहे है कि अक्टूबर में प्याज 100 रूपये किलो हो जायेगा | इसको सुनके एक कहानी याद आती है | एक गाँव में पप्पू (राहुल नहीं)रहता था | एक बार पप्पू को किसी ने गन्ना दिया | उसने सोचा अगर मैं इस गन्ने को बो दूंगा तो बहुत सारे गन्ने हो जायेंगे | उन बहुत सारे गन्नो से कई एकड़ गन्ना लगाऊंगा | लेकिन तब उसे चिंता सताने लगी की पड़ोस में रहने वाला रामू खेत से गन्ने चुराएगा | इसी डर से उसने रामू की पिटाई करनी चालू कर दी |
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जब किसी मरीज की बीमारी ठीक नहीं होती तभी डॉक्टर बदलता है क्योंकि पुराने डॉक्टर से विश्वास उठ जाता है | हो सकता है नया डॉक्टर कुछ कडवी दवाई दे लेकिन सुधार के प्रति आशावादी होकर कडवी दवाई पीनी पड़ती है | दोस्तों, परिवर्तन प्रकृति का नियम है | परिवर्तन का रास्ता बहुत ही कष्टकारी हो सकता है लेकिन इसके परिणाम हमेशा सुखद होते है |
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दोस्तों, आज के समय में देश का बहुत बुरा हाल है | बेरोजगारी फन उठाये खडी है, लोग मंहगाई से त्रश्त है, नए उद्योग धंधो को छोडिये पुराने भी बंद होने की कगार पे है, बुनियादी जरूरतें जैसे रोटी कपडा और मकान को भी पूरा नहीं कर पायें है, किसान आत्महत्या कर रहे है आदि | ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या ये समस्याए अपने आप दूर हो जाएँगी? क्या मोदी जी के हाथ में जादू की चिराग है ? उत्तर है नहीं | इसीलिए, हम सभी को राष्ट्र निर्माण में सहयोग के साथ साथ धैर्य के साथ मोदी जी में विश्वास रखना होगा |
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अवधेश राणा

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