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जदयू का चीर हरण: कल पटना में

Oral Bites & Moral Heights
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Photo : BCCL
नितीश बाबु आज प्रेस कांफ्रेंस में अपने जिस सिद्धांत को नैतिकता का पैजामा पहनाने की कोशिश कर रहे थे कहीं उसमे नाडा डालने कल लालूजी तो नहीं आने वाले है? जिस नितीश ने गोधरा कांड के समय हुई सैकड़ो मौतों के बाद भी नैतिक जिम्मेवारी निभाते हुए रेलमंत्री के पद से स्तीफा नहीं दिया. वो आज लोकसभा परिणाम पर मुख्यमंत्री पद ठुकरा कर जब भाजपा से अलग होने का सिद्धांत समझा रहे थे तो सुन कर ऐसा लग रहा था जैसे मै लालू के की राग-भैरवी में से ही एक राग भाग-भैरवी सुना रहा हूँ. उधर लालू करारी हार के बाद भी सप्तम सुर में चिंघाड़ रहें है की – मै मोदी की लहर से अलग रहूँगा और इधर नितीश की सफाई की भाजपा से अलग होना सैधांतिक था राजनैतिक नहीं; साफ कह रहा है की अभी बिहार में अच्छे दिन नहीं आने वालें है बल्कि लालू और नितीश हाथ मिलाने वालें है.

लेकिन किसी भी कीमत पर सत्ता में बने रहने की जो गलती कांग्रेस ने की उसका परिणाम हुआ की दस साल सत्ता में रहने के बाद भी आज विपक्ष का नेता बनने के लिए भी सोनिया गाँधी को गठबंधन का सहारा चाहिए. कांग्रेस को आदर्श मान कर कुर्सी से चिपके रहने के लिए अपने सबसे कटु-विपक्षी लालू से हाथ मिला कर नितीश कुमार अपनी बची खुची इज्जत तो कल लुटाने वाले है लेकिन उसके पहले नाप-तोल के लिए कल उन्होंने जो विधायक दल की मीटिंग बुलाई है उसमे कहीं जदयू का चिर-हरण न हो जाये बाद में MLA तो बता ही देंगे की वो जदयू के साथ है या भाजपा में टिकिया-उडान ले चुके है? बाकि बचे-खुचे विधायको को आरजेडी में जोड़ कर सरकार को आगे घसीटने के लिए नितीश जी ने आज बडे भोलेपन से मंत्रिमंडल को भंग होने से तो बचा लिया लेकिन उनकी राजनैतिक छवि का जो कौमार्य इस गठबंधन में भंग होगा – देखना है उसे कैसे बचाते है? बचाते भी पाते है या नहीं कहीं जनता दल के बाद यू (यूनाइटेड) की जगह कांग्रेस तो नहीं लगने वाला है? क्योकि अगले बिहार विधानसभा चुनावों में हालत तो कुछ वैसी ही होने वाली है.

अभिजीत सिन्हा
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इस रचना का किसी भी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है। नाम, स्थान, भाव-भंगिमा अथवा चारित्रिक समानताये एक संयोग भर है। राजनैतिक और हास्य व्ययंग का उद्देश्य मनोरंजन और विनोद है। किसी भी राजनैतिक दल, समूह, जाति, व्यक्ति अथवा वर्ग का उपहास करना नहीं। यदि इस लेख से किसी की धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक या व्यक्तिगत भावनाओ को ठेस पहुँचती है तो लेखक को इस गैर-इरादतन नुकसान का अफ़सोस है।
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