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अभिजीत सिन्हा : नई दिल्ली
सचाई ये है की लड़का और लड़की ने साथ रहने का फैसला किया और विरोध के कारण घर छोड़ा. कम उम्र में बिना सेटल हुए शादी की तो सौ प्राब्लम- टिकेगी? नहीं टूटेगी? HONOR-KILLING? और शादी नहीं की तो माँ बाप पुलिस को पीछे लगा देते है- शादी के लिए अपहरण का केस बनाके. लेकिन सवाल ये है की अगर इन्हें साथ रहना है तो रोक कौन रहा है? शादी के तामझाम ? दहेजप्रथा ? या समाज? हम होते कौन है? दो व्ययस्क लोगो से ये पूछने वाले की शादी कब करोगे? की या नहीं की? जब कानून बिना शादी के साथ रहने की इजाजत देता है. लड़की के शोषण को रोकने के लिए उसे – किसी भी समय लड़के पर शादी का झांसा, शोषण, अपहरण आदि की शिकायत का भी हक देता है.
मेरा तात्पर्य लडको के हक की लड़ाई नहीं है लेकिन एक युवा जोड़े को, जो सिर्फ साथ रहना चाहते है, जीवन में पहले कुछ बन के तब शादी और परिवार के बारे में सोंचना चाहते है उन्हें अपहरण जैसे गंभीर अपराधिक मामलों में बेवज़ह उलझा देना कितना सही है ? खासकर तब जब अगर वो शादी कर भी लेते है तो पुलिस कानून उन्हें आनर-किलिंग से बचा नही पाती है. लड़की के मा बाप उसकी पत्नी को दिन दहाड़े उठा ले जाते है लेकिन पुलिस लड़के की पत्नी के अपहरण की FIR नहीं लिखती. लड़के के घरवाले सरेआम लड़की को जलील करते है पुलिस उसकी भी FIR नहीं लिखती लेकिन पिछले साल पुलिस ने शादी के लिए किये गए अपहरणों की 31 हज़ार FIR लिख लियें. जिसपर अभी आगे मेरी रिसर्च जारी है.
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