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हमारे भारत वर्ष में समय-समय पर सरकार विभिन्न सरकारी राहतकारी योजनायें बनाती है। योजनाओं की सरकार की पार्टी नेताओं द्वारा पहले भूरि भूरि प्रशंसा होती है। पर कार्यावयन में भ्रष्टाचार की मारिचिका इन योजनाओं को खोखला करने लगती है। सब सम्बन्धित अधिकारी, नेता व अन्य स्वार्थ के लाभ में लिप्त होने लगते हैं। अरबों – खरबों की सहायता का बहुत कम प्रतिशत धन जरूरतमदं लोगों को प्राप्त होता है। फिर प्रारम्भ होता है आरोप-प्रत्यारोप। इन्क्वारी कमीशन बैठाना। फिर उनमें और सुधार कर भ्रष्टाचार का एक और तमगा लग जाता है। मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि अब बन्द करो ऍसी योजनाओं को बनाना। इससे देश का वास्तविक विकास नही हो सकता। देश में आपको उत्पादकता पर ध्यान देना होगा। उत्पादन सही हो, अधिक हो, भडार सुविधा सुचारू हो। और अधिक से अधिक देश विदेश के उस उत्पादिक वस्तु के ग्राहक हो। हर इसांन को सुरक्षा मिले। भय से मुक्ति मिले। आपको इन बातों पर ध्यान देना चाहिये। जब नये नये उधोग लगेंगे तो रोजगार मिलेगा। रोजगार से आदमी को आत्मिक सुख मिलेगा। उसे गर्व मह्सूस होगा। देश का विकास होगा। आरक्षण या सब्सिडी या मुफ्त में अनाज या और कुछ देने से आदमी भी निश्क्रिय होगा। भ्रष्टाचार भी बढेगा और देश नैतिकता में, आर्थिकता मे पिछ्ड्ता चला जायेगा
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