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दुम दबाकर कुत्‍ता दौड़ा, कारों को भी पीछे छोड़ा

अविनाश वाचस्‍पति
अविनाश वाचस्‍पति
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भारत के कुत्ते दमदार होते हैं, जांबाज होते हैं। उनके हौसले का मुकाबला इंसान भी नहीं कर सकता। यह उस कुत्ते ने साबित कर दिया है जो ग्रेटर नोएडा स्थित गौतमबुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर अभ्यास सत्र के दौरान खूब तेजी से दौड़ा और तुरंत सुर्खियों में आ गया। वैसे इसमें न तो कुत्ते का दोष है और न कार का, सरकार को भी दोषी नहीं माना जा सकता और न ही आयोजकों को। कुत्ते को देखकर सबको अपनी टांग सलामती की चिंता हो जाती है, इसलिए अगर सब अपनी टांग की चिंता करने लगे हों तो कैसी हैरानी ? कहते हैं कि कुत्ते का काटा न पानी मांगता है और न कोल्ड ड्रिंक। उसे लगता है कि अगर कुत्ता मर गया तो पागल होना तय है और पागल होने के लिए कोई तैयार नहीं है। पागल होने से बचने के लिए इंजेक्शन लगते हैं इसलिए कुत्ते से बचकर रहने में ही भलाई है, चाहे वे नेता हों, नेताओं की बनाई सरकार हो। हां, कारों में वे जरूर शान से सफर करते हैं। कुत्तों की बहादुरी देखिए, आप उनसे बचना चाहते हैं और वे वफादारी निभाकर आपको बचाने के लिए सदा उतावले रहते हैं।

वैसे अभ्यास सत्र के दौरान कुत्ते ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए चौकस करने का संदेश दिया है। साबित हो चुका है कि कुत्ता विशुद्ध भारतीय था, विदेशी नहीं। विदेशी कुत्तों में इतनी देशभक्ति नहीं पाई जाती। समाचारों में साफ तौर पर बतलाया गया है कि कुत्ते ने दुम दबा रखी थी, अब अगर कुत्ता दुम दबाकर नहीं दौड़ता तो जरूर पिछड़ गया होता। उसका दुम दबाना, डरना नहीं बल्कि अपनी दौड़ को पूरी गति देने के लिए टॉप गियर में डालना था क्योंकि गियर सदा नीचे की ओर डाले जाते हैं इसलिए उसने पीछे की ओर दुम दबाई थी।

इस अवसर पर उस कुत्ते की बाइट लेने के लिए रिपोर्टर और कैमरामैन दौड़ पड़े थे लेकिन इसे चैनलों ने आपसी मिलीभगत से छिपा लिया और सभी चित्रों और वीडियो को सेंसर कर दिया। अगर वे कुत्ते की बाइट लेने में सफल हो जाते तो आप उस कुत्ते की विद्वता का प्रदर्शन चैनलों पर बारंबार देखने का लाभ ले रहे होते। कहा तो यह भी जा रहा है कि उस कुत्ते में किसी ऐसे नेता की आत्मा प्रवेश कर गई थी, जो इस कार रेस का उद्घाटन करना चाह रहा था परंतु कतिपय कारणों से उसे यह मौका नहीं दिया गया, उस नेता का नाम आपकी मर्जी पर छोड़ दिया गया है। आखिर डेमोक्रेसी में सारी ऐसी तैसी जनता की ही तो नहीं होनी चाहिए।

कुत्ते की बहादुरी के चर्चे गलियों, पगडंडियों में और घरों, कोठियों में मौजूद सभी कुत्तों तक पहुंच चुके हैं और वे सभी गर्व से अपने गले में डाला गया पट्टा उतारे घूम रहे हैं। मैंने भी इसे साक्षात महसूस किया है क्योंकि घटना के तुरंत बाद एक कुत्ता मेरे ड्राईंग रूम में बलात् घुस आया और उस मौके के समाचार का प्रसारण टीवी पर देखकर सीना चौड़ा करके बिना भौंके बाहर चला गया। वैसे कुछ ज्योतिषियों का भी यही मत है कि कुत्ते के दौड़ने की घटना को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और सुरक्षा व्यवस्था को और कसना चाहिए। इस अभ्यास सत्र में आसमान से एक चमगादड़ भी मीडिया सेंटर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर अभ्यास कर गया लेकि उसे तुरंत बाहर उड़ा दिया गया।

देश विदेश के कुत्तों के बीच यह चर्चा आम है कि जिन कारों में हम सवारी करते हैं उन्हें चलाने का हमारा भी मन करता है लेकिन हमें ड्राइव करने का मौका नहीं दिया जाता। इसलिए इस दौड़ को उस विरोध के प्रतीक के तौर पर माना जाना चाहिए। फार्मूला वन रेस के अभ्यास सत्र का उद्घाटन करने वाले कुत्ते ने बाद में एक प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया को यह भी बतलाया है कि मैं वहीं पर सबके सामने मौजूद था परंतु सब मुझसे आंख चुरा रहे थे। नेता सुर्खियों में रहने के लिए कुछ भी बकवास कर सकते हैं फिर मैंने दौड़ कर कौन सा पाप कर दिया। अब मेरा नाम वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल करना तो दूर मुझे इस रेस में भागीदारी का प्रमाण पत्र देने पर भी विचार नहीं किया जा रहा है। मुझे सम्मानित करने की भी सरकार की जिम्मेदारी बनती है और सरकार इससे भी मुंह मोड़ रही है।

वैसे जो लोग यह सोच रहे हैं कि मैं पूर्वजन्म का नेता हूं तो वे गलत नहीं हैं और उनकी बात सबको मान लेनी चाहिए। लेकिन मानना तो दूर, न जाने क्यों आप सब मुझे संदेह की नजर से देख रहे हैं ?

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