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फल और फूलों से मनायें शुभ दीपावली

अविनाश वाचस्‍पति
अविनाश वाचस्‍पति
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दीपावली रूपी महाउत्‍सव को उल्‍लासपूर्वक मनाने के लिए इस पर्व का स्‍वागत फूटते, शोर करते बमों की जगह महकते फूलों की खुशबू से करें। इससे मन तो महकेगा ही, दूसरे विषैला धुंआ वातावरण को जहरीला नहीं करेगा, जिससे शरीर को अनजाने में बीमारियां डस लेती हैं। फलों से प्‍यार करें और मिठाई से साफ इंकार करें। मिठाई मिलावटी होने की तो शत प्रतिशत गारंटी मिलती है जबकि फलों के मामले में यह जोखिम अभी बिल्‍कुल नहीं है। मिठाईयों में मिलावट सिर्फ शहरों ही नहीं, गांवों में भी पूरी तरह अपने गंदे पैर पसार चुकी है। माना कि सूखे फल महंगे हैं तो गीले ही सही, गीले और ताजा फलों से आप अधिक सुकून महसूस कर पायेंगे। गीले फलों से मेरा आशय फ्रूटी, कोल्‍ड ड्रिंक, फ्रूट ज्‍यूस से बिल्‍कुल नहीं है। जो ड्राई नहीं होंगे तो वे गीले ही हुए न। बस इन फलों में ड्रा बैक यह है कि इन्‍हें अगर फारवर्ड करना हो तो फास्‍ट करें, स्‍लो करेंगे तो अवश्‍य नुकसान उठायेंगे। सोचते विचारते रहेंगे तो यह ड्राई नहीं होंगे बल्कि खराब हो जायेंगे, गल सड़ जायेंगे, फिर किसी काम नहीं आयेंगे। इनको देख सूंघ कर ही मालूम चल जाता है कि वे सही हैं। दीवाली को शुभ दीपावली बनाने और मनाने के लिए फूलों की महक और फलों की ताजगी को अपनायें।

मिठाईयों की ओर देखें भी नहीं जबकि देखने में आता है कि फलों की ओर कम लोग झांकते हैं, उपयोगी हैं फल फिर भी उन्‍हें कम आंकते हैं। मिठाईयां खरीदने को तो ऐसे टूट कर पड़ते हैं, मानो बिल्‍कुल फ्री मिल रही हों। मिठाईयों के साथ आप जानते ही हैं कि फ्री क्‍या मिलता है, मिठाईयां मिलावट से भरपूर होती हैं, बासी भी होती हैं, उनसे महक भी आ रही होती है, मिलावटी घी और दूध इनके बनाने में इस्‍तेमाल किया जाता है। चाहे कितना ही मिलावटखोरों को पकड़ लो, पर यह लोग इतनी बुरी तरह से छाये हुए हैं कि मिठाईयों का सत्‍यानाश कर देते हैं और आप जानते बूझते हुए भी इन्‍हीं मिठाईयों को अपने परिचितों, रिश्‍तेदारों, चाहने वालों को गिफ्ट कर देते हैं, जिसके साथ में बीमारियां खुद ब खुद शिफ्ट हो जाती हैं और आपको खबर भी नहीं होती। फिर मिठाईयों के साथ गत्‍ते का डिब्‍बा भी मिठाई के रेट में बेच दिया जाता है।

सच्‍ची और अच्‍छी दीवाली मनाने के लिए फलों और फूलों को अपनाना जरूरी है। लेकिन इसके लिए मैं चाहे कितनी ही अपील कर लूं, चाहे रिक्‍वेस्‍ट करके अपना गला खराब कर लूं परंतु सबने अपने मन की करनी है। चाहे उस करनी के एवज में उन्‍हें भरना ही पड़े। मिठाईयों की चाहत इस कदर घुल मिल गई है हमारे बीच कि इसके बिना हमें उत्‍सव महसूस ही नहीं होता है। कितनी ही रिक्‍वेस्‍ट कर लूं लेकिन सबको वही लगेगा बेस्‍ट जो कि वेस्‍ट है। अच्‍छा वही क्‍यों लगता है जो कि बेकार है, सब चाहते हैं कार। पेट्रोल के मामले में पेट्रोल और पेट्रोल के रेट दोनों से डरना चाहिए। इसमें बहादुरी दिखलाने से कोई लाभ नहीं है। हमने खुद ही गलत सलत रास्‍तों पर चलकर प्रकृति और प्रकृति की अनमोल कृति इंसान दोनों का खूब नुकसान किया है और कर रहे हैं। खूब लड़ते हैं, झगड़ते हैं –हमें जरूर लड़ना झगड़ना चाहिए लेकिन कुरीतियों से, गलत नीतियों से। इससे यह भी पक्‍का है कि महंगाई भी मुंह के बल गिरकर अपना मुंह तुड़वा बैठेगी। हमें दिल से दीवाली मनानी चाहिए जबकि दिल के बिना शरीर पल भर भी नहीं चलता, उसी दिल की आवाज को इग्‍नोर किए जाने कैसे जिए जा रहे हैं हम।

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