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पूरे देश को बाढ़ के पानी से राहत तो मिल गई है, लेकिन हरियाणा का यमुनानगर शहर इन दिनों फिल्मी बाढ़ से जूझ रहा है। पानी की बाढ़ तो प्रकृति का कोप थी, लेकिन यह फिल्मी बाढ़ सुहानी है और खुद बुलाई गई है। पानी की बाढ़ सड़कों का सत्यानाश करके, उन पर जख्म उकेर गई है। जिससे गुजरने वाले वाहनों को पानी की नाव पर लिए जाने वाले मीठे, परंतु नाव में बैठकर तीखे हिचकोलों की सुखानुभूति हो रही है। इन हिचकोलों का असली आनंद तो उन सर्विस कंपनियों को मिलेगा, जो कालांतर में इन वाहनों की सर्विस और पुर्जे बदलने के नाम पर कमाई करेंगी। मतलब किसी का दुख, किसी के सुख और कमाई के साधन में कैसे तब्दील हो जाता है, यह इसकी जीवंत मिसाल है।
सड़किये गड्ढ़ों की प्राकृतिक खुदाई के लिए तो खुदा ही जिम्मेदार है, जिसने इस बरस बादलों के जरिए बारिश को तैनात किया। खुदा की खुदाई का यह अफसाना किसी के लिए राहत तो किसी के लिए आफत बनकर आता है। इस बार यह बहुत बरसों बाद आया है। इन गड्ढ़ों की भर्ती करने के नाम पर ठेकेदार मौज ले रहे हैं और खुदा की इस खुदाई को ढकने के नाम पर अपने खातों को ऊपर तक तरबतर कर रहे हैं। पानी पर सफर करते अथवा झूले पर झूलते हुए कमर में गुलगुली होती है , जबकि सड़किये गड्ढों पर चलते मन में धुकधुकी पैदा होती है। धुकधुकी के अतिरिक्त वाला अनुभव इन पंक्तियों के लेखक का है, जब मैं सड़क मार्ग से हरियाणा के तीसरे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में शामिल होने के लिए गया और मैंने और मेरी कार ने भरपूर लुत्फ उठाया।
मैंने महसूस किया कि पानी की बाढ़ ने तो यमुनानगर और अन्य शहरों में इस बरस अपना रौद्र रूप दिखलाया है, जबकि फिल्मों की बाढ़ यमुनानगर में बीते तीन बरस से लगातार आ रही है और इसके जरिए आनंद लेने-देने विश्व सिने जगत के महान फिल्मकार सुविधाओं के न होते हुए भी इसमें शरीक हो रहे हैं, खूब सारे छात्र-छात्रायें, उनको पढ़ाने वाले और जरिया बना हुआ है डीएवी गर्ल्स कॉलेज यमुनानगर। दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर विश्व-मीडिया की सुर्खियों में है और यमुनानगर हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के इस भव्य आयोजन को लेकर। दो दिन बाद ओमपुरी भी इन सड़किया गड्ढों का लुत्फ लेने आ रहे हैं। अब तक अपनी मौजूदगी से समारोह की गरिमा में बढ़ोतरी के लिए प्रख्यात फिल्मकार के. बिक्रम सिंह, श्याम बेनेगल, अनवर जमाल, अश्विनी चौधरी, शर्मिला मैती, श्रेया शर्मा, त्रिपुरारिशरण, महेन्द्र मिश्र, बी बी नागपाल इत्यादि के नाम उल्लेखनीय हैं।
सड़कों पर सफर भले ही तनाव दे रहा है, कार को नाव बना रहा है परंतु फिल्मकार मानते हैं कि मामला ऐतिहासिक है। समारोह का उद्घाटन दादासाहेब फाल्के पुरस्कार विजेता फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन ने किया और कहा कि इस तरह की पहल न तो इससे पहले कहीं पर हुई है और न होने की कोई उम्मीद भी है परंतु विश्वास है कि यमुनानगर में बीते तीन बरस से सफलतापूर्वक आयोजित यह अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह साल-दर-साल उन्नति के पथ पर बढ़ता रहेगा और अपनी पहचान विश्व सिनेमा में पुख्ता करेगा। इसे ही कहते हैं लोकल का ग्लोबल होना। सब चाह रहे हैं कि ऐसी बाढ़ अन्य शहरों में भी आए और इस माध्यम की सार्थकता को पुर्नस्थापित करने के मकसद में कामयाब हो। आमीन।
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