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इसे मौत नहीं जागृति कहते हैं : मैं कभी नहीं मर सकती (कविता)

अविनाश वाचस्‍पति
अविनाश वाचस्‍पति
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मैं कहीं नहीं गई
मैं कभी नहीं मरी
मैं कभी नहीं मर सकती
देखो किसके दिल में नहीं हूँ
किसके मानस में नहीं बसेरा मेरा
इसे मौत नहीं जागृति कहते हैं
वही सच्चे इंसान होते हैं
मानते हैं सबको अपनी बेटियां
रिश्ते नहीं करते तार तार
मिलते ही नहीं मानते हैं बहनें
मर जाते हैं, मिट जाते हैं
रक्षा में, सुरक्षा में
बदल डालेंगे अब व्यवस्था की विकृतियां
विसंगतियां कन्या जन्म की
भ्रूण हत्या, दहेज, स्त्री को कमतरी का अहसास
समाज में व्याप्त ऐसी सभी बुराइयां, बेइमानियां
सबको इस निर्भीकता के साथ मिटाना होगा
अवसर न दोबारा मिलेगा, न इंतजार करना होगा
चल रही लड़ाई में शामिल होना होगा
मौका मिलेगा न दोबारा
आओ इस जोर जुल्म से टकराएं
इंसान को इससे मुक्ति दिलाने के बाद सांस लें
और अपराधियों को सांस न लेने दें ।

इसे मौत नहीं जागृति कहते हैं : मैं कभी नहीं मर सकती

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