अविनाश वाचस्पति
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मौत को अब तू मनाना सीख ले
बुलाए मौत तुरंत जाना सीख ले
मैं तैयार हूंआ मौत,
कर मेरा सामना
मैं नहीं करूंगा तुझे मना
डर कर नहीं लूंगा नाम तेरा
जानता हूं, मारना ही है काम तेरा
डराना भी तूने अब सीख लिया है
डरना नहीं है, जान ले, काम मेरा
आए लेने तो करियो मौत
पहले तू सलाम
कबूल करूंगा सलाम तेरा नहीं डरूंगा
भय की भीत पर मैं नहीं चढूंगा
कर लिया है तय
डर कर मैं एक बार भी नहीं मरूंगा
मारना चाहेगी तू मुझे
मैं तब भी नहीं डरूंगा
मरूंगा, तैयार हूं मरने को
लेकिन जी हुजूरी
कभी नहीं करूंगा
न मौत की
न बीमारी की
न सुखों को काटने वाली आरी की
दुखों से करूंगा प्यार मैं, यारी करूंगा
लेकिन उधार लेकर नहीं मरूंगा
नियम यह मैंने तय किए हैं
तुझे न हों पसंद
नहीं पड़ता अंतर
जीवंतता से जीने का
यही है मेरा कारगर मंतर।
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