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बच्चों में बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या (शैय्यामूत्रता) को कैसे दूर करें

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बच्चों में बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या (शैय्यामूत्रता) को कैसे दूर करें

डा. अवनीश कुमार उपाध्याय

प्रभारी चिकित्साधिकारी

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, पीपली,

पिथौरागढ़ -262501 (उत्तराखंड)

बिस्तर पर सोते समय पेशाब करने की बीमारी बचपन में अधिक और युवावस्था में बहुत कम होती है, जो सदियों से प्रत्येक वर्ग और लिंग के लोगों के बीच देखी जा रही है। बिस्तर गीला करने के इस दुर्गुण के कारण बच्चे के माता-पिता अत्यधिक परेशान रहते हैं और स्वयं बच्चा भी अपने आपको बहुत ही लज्जित महसूस करता है। जब एक समझदार बच्चा रात में सोते हुए बिस्तर पर पेशाब कर देता है तो इससे उसे न केवल अपने पर शर्म आती है, बल्कि उसके मन में हीन भावना पैदा होने लगती है और वह दूसरों से कटने लगता है, जबकि यह कोई भयंकर बीमारी नहीं है।

चिकित्सा विज्ञान में बिस्तर पर पेशाब करने की बीमारी को ‘एनुरेसिस’ नाम से जाना जाता है। जो बच्चे तीन-चार वर्ष की उम्र बीत जाने के बाद भी पेशाब पर नियन्त्रण नहीं रख पाते हैं, तो ऐसी दशा को ‘प्राथमिक एनुरेसिस’ और जब पेशाब थैली पर कुछ माह या वर्ष नियन्त्रण करने के बाद यह रोग हो जाए तो उसे ‘द्वितीय एनूरेसिस’ कहते हैं।

सामान्यत: बच्चों में मूत्र संग्रह करने की क्षमता छ: से चौबीस औंस पाई जाती है। किसी बच्चे में यह क्षमता कम होती है तो किसी में अधिक। दिन भर पेशाब करने की संख्या से मूत्र संग्रह करने की क्षमता आसानी से पता चल जाती है। बच्चे के पीने के पानी की मात्रा को सीमित करके मूत्र की संख्या घटाई जा सकती है।

क्या कारण हो सकते हैं?

बिस्तर पर पेशाब करने के अनेक कारण हो सकते है –

  • बच्चों के पेट में कीड़े होने से, गुर्दे (किडनी) के ठीक काम न करने से, सुगर की बीमारी से, पेशाब की थैली में सूजन होने से, गुर्दे की पथरी से, जन्म से ही पेशाब की थैली के छोटे होने से, पेशाब में रूकावट से, नींद की बीमारी से, मिर्गी या मूर्च्छा रोग आदि से बिस्तर पर सोते समय पेशाब करने की समस्या पैदा हो जाती है।
  • जिनके परिवार में माता-पिता अथवा संतानें इस रोग से पीड़ित हों, बीस से तीस प्रतिशत माता या पिता अपने बचपन में इस रोग से पीड़ित रहे हों, मानसिक रूप से अविकसित और मंद बुध्दि बच्चों में इस रोग से पीड़ित होने की अधिक सम्भावना रहती है।
  • कई बार इस समस्या के मनोवैज्ञानिक कारण भी हो सकते हैं जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं जैसे स्कूल जाने का भय, माता-पिता से अलगाव, अधिक बेचैनी, तनाव, क्रोध, दण्ड या भय, नींद में बातें करना व चलना, भयानक स्वप्न देखना, सबके सामने लज्जित होना, अंगूठा चूसना आदि भी बिस्तर पर सोते समय पेशाब करने की समस्या पैदा कर सकते हैं।
  • इन सबके अलावा बच्चे का देर तक बिस्तर पर सोना, संयुक्त परिवार में रहना, रीढ़ की हड्डी में खराबी आदि के कारण भी यह तकलीफ होती है।

क्या उपाय करें?

सर्वप्रथम कारण की पहचान कर उसे दूर करने का प्रयास करें

  • बच्चे को सोने से एक-दो घंटे पहले से ही पीने वाली चीजों या पानी न पिलायें। बच्चे में सोने से पहले पेशाब करने की आदत डलवाएं। चित्त लेटकर सोने की बजाए बाईं करवट सुलाएं।
  • बच्चे के बिस्तर पर पेशाब कर देने पर उसे डांटना या बुरा भला नहीं कहना चाहिए। मारना, पीटना या किसी प्रकार की सजा देने की कोशिश न करें। अधिक दंड देने से समस्या अधिक बढ़ने की संभावना रहती है। यह जरूर ध्यान रखें, जिस दिन बच्चा पेशाब न करे, उसे सुबह शाबासी देकर प्रोत्साहित करें।
  • यदि सम्भव हो सके तो पेशाब करने के समय को ज्ञात कर लें और उसके पूर्व ही बच्चे को अगली बार जगाकर पेशाब करा दें। सामान्यत: रात्रि दो बजे से चार बजे तक के बीच पेशाब का दबाव बढ़ता है। पेशाब साथ जाकर कराएं, वरना डर के कारण वे पूरी पेशाब भी नहीं कर पाते।
  • सोने से पूर्व दूध पिलाने की बजाय सुबह स्कूल जाने से पूर्व दूध दें। बच्चे को निश्चित मात्रा में पानी पीने दें। पेट भर कर पानी न दें। दिन में घर पर मूत्र धीरे-धीरे रोकने का अभ्यास कराएं। दो बार के पेशाब के मध्य निश्चित अंतराल निर्धारित करें। कुछ समय के प्रयास से बच्चा निश्चित समय तक पेशाब रोकने में सफल हो जाएगा।

किन घरेलू नुस्खों का प्रयोग करें?

  • सामान्यत: देखा गया है कि रेवड़ी, गजक, तिल के लड्डू खिलाते रहने से यह समस्या धीरे-धीरे दूर हो जाती है।
  • जामुन तो सभी जगह उपलब्ध हो जाता है इसकी गुठली का पाउडर बना लीजिये और आधा चम्मच पाउडर को इतनी ही शहद की मात्रा में मिला कर दिन में दो बार खिलाने से इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
  • पच्चीस ग्राम अजवाइन, पचास ग्राम  काले तिल और सौ ग्राम गुड़ मिला कर रखें, दो चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दो बार खिलाएं।
  • एक अखरोट की गिरी तथा पांच ग्राम किशमिश रोज़ रात को सोने से पहले खिलाने से एक से दो हप्ते में आराम मिलने लगता है। इन घरेलू उपायों को अपना कर समस्या पर शीघ्र नियन्त्रण पाया जा सकता है।

किन आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करें?

  • आयुर्वेदिक ग्रंथों में बतायीं गयी ब्राह्मी, शंखपुष्पी, अश्वगन्धा, अमलतास, वच, पुनर्नवा, गोक्षुर आदि जड़ी-बूटियॉं इस समस्या के लिये लाभदायक बतायी गयी हैं।
  • उपरोक्त जड़ी बूटियों से निर्मित सारस्वत चूर्ण, कुमार कल्याण रस, चंद्रप्रभा वटी, तारकेश्वर रस, अश्वगंधा घृत, कुमार कल्याण रस, प्रवाल पिष्टी, मोती पिष्टी, चन्द्रप्रभा वटी, विष तिन्दुक वटी, ब्रह्मी वटी आदि औषधियों का प्रयोग कर बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या को दूर किया जा सकता है।
  • आठ वर्ष तक के बच्चों के लिए कुमार कल्याण रस एक ग्राम, चन्द्रप्रभा वटी बीस ग्राम, विषतिन्दुक वटी दस ग्राम एवं ब्रह्मी वटी बीस ग्राम    की मात्रा लेकर सबको मिला कर पीसकर नब्बे खुराक बना लें। एक एक खुराक दिन में तीन बार शहद में मिलाकर देने से इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
  • आठ वर्ष से बड़े बच्चों के लिए कल्याण रस एक ग्राम, विषतिन्दुक वटी बीस ग्राम प्रवाल पिष्टी दस ग्राम एवं मोती पिष्टी पांच ग्राम की मात्रा लेकर सबको मिला कर पीसकर साठ खुराक बना लें। एक एक खुराक दिन में दो बार शहद में मिलाकर दें साथ ही चंद्रप्रभा वटी एवं ब्रह्मी वटी की एक एक गोली दिन में दो बार देने से इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।


लेखक डा. अवनीश उपाध्याय विगत 15 वर्षों से आयुर्वेद अनुसंधान एवं चिकित्सा कार्य कर रहे है। लेख से सम्बंधित किसी प्रकार की जानकारी के लिये avnishdr@gmail.com या +91-81264519269 पर सम्पर्क किया जा सकता है। लेख मे दिये गये औषधियों या नुस्खों का प्रयोग किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के बाद ही लें। रोगी की प्रकृति और अवस्था के अनुसार चिकित्सीय प्रयोग भिन्न हो सकते हैं।

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