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पुराने वक्त में लड़कियों को अरब में लोग ज़िन्दा दफ़न कर देते थे और आज हिन्दुस्तान में वजूद में आने से क़ब्ल ही बेटियाँ पेट में क़त्ल की जा रही हैं। ताअज्जुब की बात यह है कि पंजाब जैसे राज्यों में जहाँ शिक्षित लोगों की बड़ी जमात है वहीं भ्रूण हत्या के सबसे ज़्यादा मामले हो रहे हैं। लड़कियों की कमी के बावजूद भेड़-बकरियों की तरह लड़कियों की ख़रीद-फ़रोख़्त जारी है और हालात यह हैं कि एक लड़की को कमतर क़ीमत में ख़रीद कर मनमाने काम में लिया जा सकता है। सच यह भी है कि जिस हरियाणा में लड़कियों की इतनी कमी है कि उन्हें दीगर राज्यों से ख़रीद कर वंश बढ़ाने के लिए रखा जाता है उसी राज्य में कोई लड़की पैंतीस हज़ार में ख़रीदी जा सकती है जबकि वहीं किसी भैंस की ख़रीद में सत्तर हज़ार के करीब रुपये ख़र्च होते हैं।
ताज्जुब है! आज इस सभ्य समाज में जब चाँद पर घर बनाने का सपना सच होने को है तब भी इंसान अपने उस जंगलीपन से उभर नहीं पाया जिसे वह गुज़रे ज़माने की बात कहकर अपने असभ्यपन को छुपाने की कोशिश करता आ रहा है……!
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