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शादी के नाम पर झांसा देकर शारीरिक शोषण, बहला-फुसलाकर बलात्कार! यह कुछ अजीब-सा लगता है जब कोई महिला किसी पुरूष पर यह इल्ज़ाम लगाती है और इससे भी बड़ी मायूस करने वाली वो कार्रवाई लगती है जो सिर्फ़ पुरूष के खि़लाफ़ की जाती है। बलात् यानि जबरन लेकिन नाजायज़ ताल्लुक़ात में ज़बरदस्ती जैसी कोई चीज़ होती ही नहीं और जब ऐसा है ही नहीं तो फिर पुरूष पर ही एकतरफ़ा कार्रवाई क्यों! बल्कि दोनों पर समान कार्रवाई की जानी चाहिएं क्योंकि जब कोई महिला-पुरूष अवैध सम्बन्धों को इखि़्तयार करते हैं तो एक तरफ तो समाज की मर्यादा भंग होती है, समाज के नैतिक ताने-बाने के ध्वस्त होने का ख़तरा बढ़ जाता है और फिर इस तरहं के सम्बन्ध अपराध को भी बढ़ावा देते हैं, जैसा कि भंवरी देवी, मधुमिता शुक्ला के केस में हुआ। अगर अमरमणि की पत्नी मधुमणि के पास भी नाजायज़ रिश्तों के विरूद्ध लड़ने को क़ानूनी हथियार होता तो शायद वह हत्या जैसा अपराध कराने को विवश न होतीं और समाज को एक अच्छा संदेश जाता।
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