पहले पढ़ने का अधिकार- पत्र लाओ !
•जी हाँ ,आपने सही समझा ! अब मैं कोई ऐसा वैसा ब्लॉगर या लेखक नहीं रहा. मैं इत्ता पढ़ा जाता हूँ कि मेरा दम घुटने लगा है.मेरी कोई भी रचना अब मेरे निजी पेटेंट के दायरे में है और मैंने यह सोच रखा है कि मेरे लिखे हुए को केवल मेरे चम्पू ही पढ़ें और मेरी वाह-वाह करें.
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•मेरी लिखने की खासियत शुरू से यही है कि मैं बिना लाग-लपेट के लिखता हूँ ,भले ही किसी को केवल लपेटने के लिए लिखूं.मैं बिलकुल ताक में बैठा रहता हूँ कि कब हमारा शिकार मिले और मैं उसे धर दबोचूं.मेरी इसी प्रवृत्ति से कई लोग घबड़ा कर काउंटर-अटैक करने की कोशिश में लगे रहते हैं.इससे ही बचने के लिए मैंने पुख्ता इंतजाम किया हुआ है.अगर कोई भी ऐसी-वैसी उपदेशक टीप मेरी पोस्ट पर आती है तो मैं बक्से में ही बंद कर उसका गला घोंट देता हूँ.लेकिन इधर कुछ ज़्यादा चालबाज़ लोग सक्रिय हो गए हैं और मेरी पोस्ट पर टीप न करके इधर-उधर उसका लिंक बिखेर देते हैं.इससे ही बचने के लिए मैंने यह नया नुस्खा आजमाया है.
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•मेरा नया नुस्खा यह है कि मैं जिसको चाहूँगा वहीँ मुझे पढ़ेगा और देखेगा.मुझे पढ़ने और देखने के लिए मुंहदिखाई जैसी रस्म अदा करनी पड़ेगी.कई बाबा-टाइप के ब्लॉगर हैं जो चुपचाप घूंघट उठाकर देख भी लेते हैं मतलब पोस्ट पढ़ लेते हैं पर मुंहदिखाई से मुकर जाते हैं.इन्हीं सब हरकतों से तंग होकर मैंने यह फैसला निजी हित में लिया है कि जिसे मेरी पोस्ट पढनी हो,मेरे पास मेल भेजेगा,इससे दो फायदे होंगे.एक तो अपना रुतबा कायम होगा ,दूसरे यह कि उससे मेलजोल की सम्भावना भी बढ़ जायेगी.इस तरह बिना किसी और के जाने,मैं चुपचाप कई विकल्पों में विचरण कर लूँगा.
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•मेरी पोस्ट मेरी निजी संपत्ति है.इसे मैं सबके लिए सार्वजनिक नहीं कर सकता हूँ.आजकल बड़े खुर्राट किस्म के ब्लॉगर मैदान में आ गए हैं.वे हमारी त्रुटियों पर और निरर्थक रचना पर सरे-आम बहस छेड़ देते हैं.मेरा ताज़ा उपाय इसकी भी काट करेगा.मैं भले ही दूसरों की पोस्ट में अपनी पूरी पोस्ट टीप के रूप में चिपका दूँ,पर मजाल कि कोई मेरी दीवाल के आस-पास भी आ सके.मैं इसी दिन के लिए ब्लॉगर नहीं बना था.मैं लिखित रूप से एक ब्लॉगर हूँ और यह भी कि उस पर मेरा पेटेंट है.आजकल कुछ पता नहीं कब कोई हमारे टेंट में आकर अपना खूँटा गाड़ दे इसलिए मैंने इसे सब तरह की अलाय-बलाय से दूर रखने का फैसला किया है.यह मेरा प्रजातान्त्रिक अधिकार है,इससे भले ही किसी और के अधिकारों का हनन क्यों न होता हो,पर मैं किसी और के अधिकारों के बारे में क्यों सोचूँ ?
•इसलिय इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आप ठीक से सुनिश्चित कर लें कि मेरे द्वारा जारी प्रमाण-पत्र आपके पास है या नहीं,अगर नहीं है तो सारे हर्जे-खर्चे के जिम्मेदार आप होंगे !डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में कही गई बातें निहायत वैकल्पिक हैं और इसका सम्बन्ध किसी भी ब्लॉगर से महज़ संयोग हो सकता है !
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