Menu
blogid : 24373 postid : 1212493

विष-वास

Poems
Poems
  • 11 Posts
  • 6 Comments

धूमिल है यहाँ साफ चेहरा भी,
ताक रहा है यहाँ,ढोंग की आस भी,
मत साथ रखना अपनेपन का,
यहाँ सब मतलब साध रहे है,
कैसी फ़ितरतो की दुनिया है जालिम,
अच्छा करो तो भी काटने को दौड़ती है,
समय नही रहेगा,मिट जाता है पल में,
बेनकाब आस पल रही है छलने,
बेतोड़ खौफ लिए,सदमे में है आज,
क्या दोष है उस मासूम का जो शरेआम छला गया,
चुप है इस कदर फायदा उठाता है हर कोई,
मजबूरन ही दबा जाना चाहता है हर कोई,
उस काबिल नही डगर,बस अगर मगर में,
यहाँ भरोसा ही तोड़ते है रहने वाले बगल में,
मत सवार होना उस कस्ती पर,
जिस सफर के दूर किनारे हो,
मांझी भी धीरे चलेगा,
अँधेरे का फायदा उठाने,
धोखे की आड़ में ,
चार पन्नो जैसी जिंदगी है यहाँ,
कोई कुछ लिखेगा भी तो लाल कलम से,
चल जाएगी एक पंक्ति कुछ ज्यादा ही,
विश्वास किये,दुखो का पहाड़ लिए,
उतर गया हूँ सागर में बिन मांझी नाव लिए,
पता है डूब तो जाना ही है,
देखता हूँ कहा तक चल पता हूँ,
थकान लिए कुछ उलझे सवाल लिए,
नजर चलेगी रौशनी में,
शाम में गायब हो जाएगी,मटमैले से रंग में,
अजीब होगा साया भी अपना पानी में !

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh