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हम भारतीयों में एक ख़ास गुण पाया जाता है और यह मैं पहले से ही बता दूं कि इस गुण को पाना और उसे उत्कृष्टता के सर्वोत्तम स्तर तक ले जाना कोई बच्चों का खेल नहीं है| यह गुण है – अपनी हर असफलता, अपने सभी कष्टों के लिए किसी दूसरे को जिम्मेदार ठहराना|
मैंने कई लोगों की ऐसी कहानियाँ सुनी हैं और वे सब की सब यकीन के काबिल थीं| मैंने अपनी स्वयं की करुण कथाओं से लोगों को मुग्ध किया है और जाते समय उनके चेहरे पर एक स्पष्ट भाव देखा था “क्या ही काबिल आदमी है काश ‘फलाने’ ने इसे वह करने दिया होता जो यह करना चाहता था|”
यह प्रतिभा हममें होती तो जन्मजात ही है लेकिन हम भाग्यवादी नहीं हैं कि जो जितना मिला है उसी पर रुक जाएं| इस गुण को तराशना हम काफी बचपन से ही शुरू कर देते है, ढाई साल का बच्चा जब कहता है कि “मैं खुद नहीं गिरा किसी ने पीछे से धक्का दिया था” तो आप समझ जाते हैं कि बच्चा होनहार है| बची-खुची कसर मां-बाप अपने योगदान से पूरी कर देते हैं, और रोते हुए बच्चे को चुप कराते हैं “नहीं रोओ, देखो चींटी ने गिरा दिया|” चींटी जैसा क्षुद्र जीव अपने से कई गुना बड़े बच्चे को गिरा भी देती है और फिर खुद बेचारी मर भी जाती है (ऐसा देश है मेरा) !! आप ही कहें, अब ऐसी परवरिश के बाद कौन बच्चा अपने कर्मों के लिए खुद को जिम्मेदार मानेगा? सातवीं कक्षा में खराब नंबर लाने पर रोते हुए बच्चे ने माँ को बताया “सब उस जतिन की गलती है जिसने नकल कराने का वादा किया था लेकिन उसने दिखाया ही नहीं| मैंने उससे कितनी बार पूछा पर वह तो ऐसे एक्टिंग कर रहा था जैसे उसे सुनाई ही न दे रहा हो|” बताइए कैसा घोर अनर्थ, और माँ ने भी सांत्वना दी “वो गंदा बच्चा है, आइन्दा उससे बात मत करना|” लीजिए बुनियाद और पक्की हो ली|
सिलसिला चलता रहता है और बच्चा बड़ा होकर तथाकथित रूप से ‘जिम्मेदार’ वयस्क हो जाता है| एक दिन दो पेग लगाने के बाद दोस्तों से कहता है, “यार घरवालों ने शादी करवा के फंसवा दिया| अब समझ में नहीं आता क्या करूँ?” दोस्त भी पेग का घुट लेते हुए सांत्वना देते है “छोड़ न यार, दारु पी, तेरी कोई गलती नहीं है|” फिर यही व्यक्ति घर जाकर पत्नी एवं माँ-बाप से कहता है “दोस्तों ने जबरदस्ती पिला दी|”
इस व्यक्ति की नज़रों में नौकरी में डांट पड़ने पर या तो बॉस की शरारत होती है या सहकर्मियों की साजिश| अब यही व्यक्ति समय के साथ जब देश का नेता या वरिष्ठ अधिकारी बनता है तो कहता है “दंगा भड़काने के पीछे साजिश है, हमलों में पाकिस्तान का हाथ है और विजय माल्या के भाग जाने में उसकी कोई गलती नहीं है|”
हमारा देश सबसे ज्यादा इंजीनियर पैदा करता है लेकिन सड़कें टूटी रहती हैं, सबसे काबिल डॉक्टर बनाता है लेकिन मरीज सही इलाज के अभाव में मर जाते हैं| आई टी इंडस्ट्रीज़ में सबसे आगे हैं लेकिन एक भी विश्वस्तरीय सोफ्टवेयर प्रोडक्ट नहीं है| सबसे ज्यादा साधु महात्मा प्रवचन देते है लेकिन सबसे ज्यादा जुर्म है| सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन मजदूर किसान भूखों मर रहे हैं| सबसे ज्यादा करोड़पति हैं पर सबसे ज्यादा गरीब भी| आतंकवादी सीमा से तीन सौ किलोमीटर अन्दर पहुँच जाते हैं बिना किसी स्थानीय मदद के| हजारों की सभा में देश विरोधी नारे लगाए जाते है और यह तय नहीं हो पाता है कि नारे लगाने वाले कौन थे| स्कूली छात्र आत्महत्या कर रहे हैं, बलात्कार और कत्ल कर रहे हैं लेकिन न वे जिम्मेदार हैं, न उनके माता पिता, न समाज, न पुलिस और न ही न्याय पालिका|
यही सच है कि अपने देश में इस सब के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है| न मैं, न आप, न समाज, न सरकार| हर व्यक्ति अपनी जगह पर सही है जो भी समस्या है वह चींटियों के कारण जो लंगडी टाँग खेल कर हमें गिरा देती हैं और फिर पकड़ में भी नहीं आती हैं क्योंकि जब तक हमारी पुलिस उन्हें पकड़ने जाती है वे मर चुकी होती हैं|
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