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पूरी तरह अतिरिक्त ऊर्जा से संतृप्त पहला जिला बनेगा
उरई। जालौन जिले को अतिरिक्त ऊर्जा का हब बनाकर माडल के रूप में पेश करने का काम चल रहा है। इस कवायद के तहत सौर ऊर्जा के जरिये 500 मेगावाट विद्युत उत्पादन का देश में सबसे बड़े प्रोजेक्ट यहां मंजूर किया गया है। यहां बिजली उत्पादन के 2 और सौर ऊर्जा उत्पादन के 4 और प्रोजेक्ट अभी विचाराधीन हैं।
परंपरागत तरीकों से बिजली उत्पादन की सीमाओं को देखते हुए वैकल्पिक साधनों से उसे बढ़ाने के उपयोग पर चर्चा और प्रयास हुए लेकिन अभी तक इस मामले में कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। इस बीच जालौन जिले में विभाग की ओर से गंभीर पहल हुई। इसके लिये पहले होमवर्क किया गया जिसमें घरेलू उपयोग के लिये 300 मेगावाट बिजली की जरूरत आंकी गयी। विभाग का कहना था कि अगर वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से इतनी बिजली जिले को मुहैया करा दी जाये तो जिले के कोटे की पूरी बिजली उद्योगों को देकर कई फैक्ट्रियां संचालित की जा सकती हैं। प्रदेश शासन ने इस विचार को प्रोत्साहित किया नतीजतन ग्राम परासन में सौर ऊर्जा से पहले चरण में 500 मेगावाट बिजली उत्पादन की एक और इकाई स्थापित की जायेगी। 400 करोड़ रुपये की इस परियोजना का कार्य नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन द्वारा कराया जा रहा है।
चार और प्रोजेक्ट प्रस्तावित
अभी चार और सौर ऊर्जा पावर प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं जिन्हें मकरेछा, बंधौली, गुढ़ा व टीकर में स्थापित किया जाना है। अगर इन परियोजनाओं को मंजूरी मिल जाती है तो जिले में बिजली की भरमार हो जायेगी। परासन सौर ऊर्जा विद्युत उत्पादन केन्द्र के लिये भारत सरकार ने 11 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने का करार किया है।
पानी से भी मिलेगी बिजली
बेतवा नहर प्रखंड प्रथम और द्वितीय के हेड में 18-18 मेगावाट के पानी से बिजली पैदा करने के 2 केन्द्र विचाराधीन हैं। प्रखंड प्रथम में मोंठ और समथर के बीच व प्रखंड 2 में गुरसरांय के पास या हमीरपुर में कहीं यह केन्द्र स्थापित हो सकते हैं। विभाग की ओर से राज्य सरकार को इस पर सहमत करने की कवायद चल रही है।
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