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गुरु की महिमा का करें, कैसे शब्द बखान।
जग में मिलता है नहीं, बिना गुरू के ज्ञान।।
अन्तस को दे रौशनी, गुरू ज्योति का पुंज।
गुरु के शुभ आशीष से, सुरभित होय निकुंज।।
चला रहे अनपढ़ जहाँ, शिक्षा की दूकान।
अब कैसे मिल पायेगा, अज्ञानी से ज्ञान।।
सतगुरु ही तो शिष्य का, करता है कल्याण।
गुरू बिना होता नहीं, जीवन का उत्थान।।
संस्कार देता गुरू, पाता सिख अमिताभ।
बिना दीक्षा के नहीं, शिक्षा का कुछ लाभ।।
एक दिवस ही क्यों करें, शिक्षक का सम्मान।
प्रतिदिन करना चाहिए, अपने गुरु का मान।।
साभार: डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
Teachers Day Poem in Hindi
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