शब्द दूत
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मौन हूँ मैं ,
निशब्द नहीं हूँ मैं ,
कौन हूँ मैं ,
प्रश्न यक्ष से खड़े हैं ,
उत्तर की तलाश में ,
एक नया प्रश्न जन्मता है ,
अर्थ बदलते शब्द ,
मौन हूँ मैं ,
निशब्द नहीं हूँ मैं ,
कौन हूँ मैं ,
हर नई सुबह एक नयी आशा ,
संध्या होने तक ,
पुनः सालती निराशा ,
थकी हुयी आकांक्षा ,
मौन हूँ मैं
निशब्द नहीं हूँ मैं ,
कौन हूँ मैं ,
कंक्रीट और पत्थर के जंगल में ,
पथराती हुयी संवेदना ,
हर पत्थर है नुकीला ,
काटता सम्बन्धों की डोर ,
मौन हूँ मैं
निशब्द नहीं हूँ मैं ,
कौन हूँ मैं ,
———विनोद भगत
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