Menu
blogid : 17843 postid : 714857

दहक रहे है सम्बन्ध

शब्द दूत
शब्द दूत
  • 9 Posts
  • 8 Comments

बदल गए है संबंधों के अर्थ ,
अर्थ के लिए बन रहे है सम्बन्ध ,
व्यर्थ हो गए सभी सम्बन्ध ,
अर्थ है तो सम्बन्ध भी है ,
अर्थ का यह कैसा हुआ सम्बन्ध ,
संबंधों की चिता पर अर्थ की अग्नि ,
दहक रहे है सम्बन्ध ,
अर्थ के लिए सब अपने है ,
अर्थ की अर्थी पर संबंधो की ,
भावनात्मकता को ख़ाक छान ,
रहे मानवीयता को विस्मृत कर ,
भटक कर कहाँ जायेंगे हम ,
पता नहीं ,
अभी और कितने भटकेंगे हम ,
पता नहीं .
विनोद भगत

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh