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कुछ सुकून मिले

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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आखिरी साँस है आखिरी पल है दोस्तो
क्या करूँ अब कि कुछ सुकून मिले

भागता फिर रहा था इस दर उस दर
उसने कहा दैर जाओ कि कुछ सुकून मिले

क्या-क्या नही कमाया और किया मैंने
कि मिले कि अब मिले कि कुछ सुकून मिले

धूप-छाँव की नही की कभी परवाह मैंने
भटका फिरा प्यासा कि कुछ सुकून मिले

तिल तिल कर लुटाया है अपना सब कुछ
जीस्त भी ले ले अगर कि कुछ सुकून मिले

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