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ऐसा अक्सर होता है – Contest

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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सुख-दुःख तो आते रहते है
यहाँ कुछ खोना पाना होता है
जीवन की सरपट सड़कों पर
ऐसा अक्सर होता है

.

किस उलझन में फँस गये हो
यहाँ झाड़-बाड़ है खूब कँटीले
कहीं है खाई, कहीं है ठोकर
कहीं है पानी, कहीं है कीचड़
कितनों से बच पाओगे
हर तरफ यहाँ, ठोकर ही ठोकर
दिखने में होता जो सीधा रस्ता
उसी में ठोकर होता है
जीवन की सरपट सड़कों पर
ऐसा अक्सर होता है

.

इतने उलझनों के बाद जब
कोई बाग-बगीचा आता है
उड़ती तितलियाँ जब फूलों पर
और खुशबू कोई महकता है
उसे लगता है ये सपना फिर
फिर काँटों को ढ़ूँढ़ने लगता है
अजब तमाशा है लोगो का
खोने में तो कभी पाने में ही रोता है
जीवन की सरपट सड़कों पर
ऐसा अक्सर होता है

.

टूटने पर कोई खिलौना
रोता बच्चा ये समझता है
सब कुछ उसका टूट गया है
ये सोच के आहें भरता है
बच्चों को समझाते फिरते
अपनी बारी वो समझ कहाँ जाता है
बच्चों को बड़े होने की दुहाई देते
लेकिन खुद भी बड़ा कहाँ होता है
जीवन की सरपट सड़कों पर
ऐसा अक्सर होता है

.

जीवन आनी जानी है
सब कुछ पाना बेमानी है
ऐसी बातें सब रटते रहते
दो गज जमीं को लड़ते रहते
बन्दर है या कोई इंसा
ये समझी या नासमझी है
दूसरो को ऐसा कहने में
मन का मैं खुश होता है
जीवन की सरपट सड़कों पर
ऐसा अक्सर होता है

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