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आजकल की राजनीति मे दूसरो के कन्धे पर तमंचे रख गोलियाँ चलाने का चलन शुरू हो गया है। हालाँकि इसमें सफलता भी नहीं मिली पिछले सरकार को। और असफलता के बाद कुछ एक कारण गिनाकर लोगों से सहानुभूति भी बटोरने की कोशिश में भी असफल हुए है कद्दावर नेता, नतीजतन इस्तीफे का ड्रामा करना पड़ रहा है सभी को। इसी रीत को दोहराते हुए नीतीश सरकार जो अपनी बुद्धिमानी और होशियारी को जो एक बार तो काम न आ सकी अब दूसरी बार भी सीधे-सीधे प्रयोग करने से डर रहे है वो माँझी जैसे असफल, महादलित और सीधे-सादे नेता को आगे कर राजनीति की गोलियाँ खेलना चाहते है।
बिहार जिसका कद कुछ उठा था, फिर से राजनीति की चक्की में पिस कर धँसने की कगार पर खड़ा हो गया है। आखिर नेता अपने स्वार्थों की राजनीति के उठ कर कब जनता के बारे में सोचना शुरू करेंगे। ये तो भगवान ही जाने। लेकिन उन नेताओ को आज के जनता द्वारा लिये गये फैसले पर सोचने की जरूरत है। जो जाने कब किसका पत्ता साफ कर देंगे। जो नेता अपनी थोड़ी सी सफलता से खुश होकर ये सोचने लगे हो सारी जनता उनके हाथ में है तो ये वो बहुत भारी भूल कर रहे है।
आज अगर मोदी सरकार जनता के हित में फैसला करते हुए आगे बढ़ती है तो सभी क्षेत्रीय दलो के लिए अपने भविष्य को लेकर सोचने की और मंथन करने की आवश्यकता पड़ जायेगी। जैसे मोदी के खिलाफ सभी दल इस चुनाव में टूट कर पड़ गये थे ठीक उसी तरह से वोट भी उनके समर्थन में टूट कर पड़ी और सभी दल चारो खाने चित हो गये। तो आज फिर से जनता अपने साफ-साफ लहजे में कह रही है कि देश में एक स्वच्छ राजनीति करने की जरूरत है। चाहे कितना भी जनता को झूठलाने के लिए बहकाने के लिए कैसी भी और कितनी भी चाल चल ले जनता का एक चोट एक वोट ही उसे मात देने के लिए काफी है।
आज जनता सब देख रही है कि मोदी के खिलाफ वही लोग थे जो संसद में गाली-गलौज और मार-पीट भी कर चुके है जबकि आज मोदी संसद की गरिमा बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जो लोग ये कहते थे कि मोदी सिर्फ अमीरों के लिए अच्छे है, आज मोदी गरीबों के लिए बोल रहे है और सुनने की भी बात कर रहे है। अगर मोदी अपनी बात पर टिके रहे तो उन सभी मुँह पर एक तमाचा जड़ जायेगा साथ ही साथ जनता का भला होते हुए भी एक स्वच्छ राजनीति की शुरूआत भी हो जायेगा।
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