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जीने की कला (१)

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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हर किसी की जिन्दगी यहाँ समस्याओ से भरी हुई है…………. एक समस्या से कोई निजात पाता नहीं कि दूसरी सिर पर सवार मिलती है………. अपनी समस्याओ को सुलझाते-सुलझाते एक दिन वो इतने उलझ जाते है जहाँ से उन्हें कोई रास्ता दिखाई नहीं देता. अपनी ही जिन्दगी से बोर होते दिखाई देते है. उब हो जाती उन्हें. जी करता है इससे तो मरना ही अच्छा. कभी-कभी तो ये बहुत ही खतरनाक और हिंसक रूप ले लेती है. लोग आत्महत्या तक कर लेते है. . ……. ऐसे में कोई क्या करे? कहाँ जाए? आखिर क्यों होता है ऐसा?…………………………………………………..

 

काफी जद्दोजहद के बाद जिन्दगी के किसी मोड पर अगर हम कुछ पा भी लेते है तो संतुष्टि नहीं मिलती, एक खलिश दिल में बाकी रह जाती है, कुछ और पाने कि ………… …….. और अगर हम कभी कुछ खोते है, तो हमें ऐसा लगता है कि अभी बहुत कुछ बचा है………………….. क्या है ये? क्यों है ये? ………………………………………….

 

क्या जिन्दगी का ये रास्ता ज्यादा कठिन है?…………………….. क्या हम ठीक से चल नहीं पाते? …………………………….. क्या हमें चलना नहीं आता? ………………………

 

ये सवाल आज देश के हर आम नागरिक के दिल की है. लोग अपने दिल को समझाने के लिए, तसल्ली देने के लिए…. दो चार लोगो के सामने अपने भाग्य, किस्मत और भगवान को कोस लेते है, उन पर थोप कर अपनी भड़ास निकाल लेते है. ……………………….. क्या ऐसा आपके आस-पास देखने को नहीं मिलता है………………. जरुर मिलता होगा………………. हो सकता है आप खुद भी इसके शिकार हो. …………………

 

इस आम आदमी के दिल कि हकीक़त को लेकर हम आपके साथ कुछ विचार करना चाहते है, एक हल निकालना चाहते है कि आखिर क्यों होता है ऐसा? क्या कारण है?…………………………

 

आइये “जीने की कला” के श्रंखला के माध्यम से हम जानेंगे की आखिर कैसे जीया जाए? …………………….. इतनी समस्याओं से भरी हुयी जिन्दगी में खुश कैसे रहा जाए?………………………. किस्मत कैसे बनाया जाए?…………………….. भाग्य कैसे बदला जाए?……………………………

 

इन सब को जानने में आप लोगो के राय की भूमिका अहम् होगी. …… कृपया इसमें आप सभी मेरा साथ दे, जिससे की जिन्दगी के इस महत्वपूर्ण समस्याओं का हल निकाला जा सके ………………………. जिससे हम ये भी जानना चाहते है की आखिर लोगो से भूल कहाँ होती है……….. और उन भूलो को जानकर ही सुधारा जा सकता है………

 

अगर इसमें आपको अपनी जिन्दगी के किसी मोड़ से टकराती हुई बाते हो तो अपनी राय देने में मत हिचकियेगा ……………………………………

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