BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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मुझे दर्द-ए-दिल की वो दवा दे देते जिन्दगी मेरी हो जाती दुआ दे देते
सोचता कहाँ हूँ और जाता कहाँ हूँ दीद-ए-मुक्कदर को शमा दे देते
जल ही रहा हूँ न बुझ ही रहा हूँ मुझपे एक रहम की हवा दे देते
वीरान राहों का तन्हा मैं राही हूँ दम-ए-आख़िरत इश्क़-ए-रहनुमा दे देते
फ़रमान देने का बहुत शौक़ है उन्हें मुझ दीवाने को शौक़-ए-सज़ा दे देते
कर लेगा “शजर” हर गुनाह-ए-क़ुबूल अगर साथ मरने की वो जुबां दे देते
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