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ये टोटके भी हैं निराले…

Anubhav
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ऐसे लोगों की इस दुनियां में कमी नहीं है, जो बात-बात पर टोटकों को सहारा लेते हैं। यानी कुछ करो, नहीं लेकिन वे टोटके करना नहीं भूलते हैं। इन्हीं टोटकों के भरोसे अपनी किस्मत को चमकाने के प्रयास में रहते हैं। यदि डूबता व्यक्ति हाथ-पैर पतवार की तरह नहीं चलाएगा, तो शायद ही वह बच पाए। किसी भी काम की सफलता व्यक्ति की मेहनत पर ही तय होती है। टोटके तो सिर्फ मन का भ्रम मिटाने के लिए होते हैं। इनसे किसी का भला नहीं हो सकता। फिर भी इस सच्चाई से अनजान लोग न जाने क्यों ऐसी बातों का सहारा लेते हैं, जिनसे उनकी किस्मत बदलना संभव नहीं है। टेवीविजन के चैनलों पर भी ऐसे टोटकों के प्रचार की भरमार देखी जा सकती है। फला अंगूठी पहनों, मंत्र वाला फला जंत्र को अपनाओ और फिर देखो उसका कमाल। भला ऐसा कैसे हो सकता है कि एक अंगूठी पहनने से आपकी किस्मत बदल जाए। किस्मत तो सिर्फ उसकी ही बदलेगी जो आपको अपना यंत्र बेच रहा है। जो यह दावा करता है कि मंत्र से शुद्ध की हुई अंगूठी से आपकी किसम्मत चमकेगी, भला तो उसी का ही होता है। क्योंकि वह ऐसी अंगूठियां बेचकर दोनों हाथों मालामाल हो रहा है।

मैं एक व्यक्ति को जानता हूं, जो पहले तांगा चलाता था। अब देहरादून की सड़कों पर तांगे चलते नहीं। उसके सामने यह समस्या थी कि वह अपने घोड़े का इस्तेमाल कहां करे। शादी के मौके पर ही घुड़चढ़ी के लिए घोड़े की डिमांड होती है। ऐसे में वह अपना गुजारा कैसे करे। फिर घोड़ेवाले को टोटका सूझा। काले व भूले रंग के घोड़े पर उसने काला रंग चढ़ा दिया। फिर घोड़ा लेकर सड़क पर हर दिन घूमने लगा। टोटके को जीवन में अपनाने वालों की नजर जब उसके घोड़े पर पड़ी तो ऐसे लोगों ने घोड़े की नाल खरीदनी शुरू। नाल को वह मुंहमांगी कीमत पर बेचने लगा। काले घोड़े की नाल खरीदने वाले लुहार से नाल के लोहे का छल्ला बनवाकर हाथ में अंगूठी बनाकर पहनते हैं। घोड़ास्वामी जैसे ही घोड़े की नाल उतारकर बेचता, उसी समय वह अपने थैले से दूसरी नाल घोड़े के पैर में ठोक देता। नाल बेचने का उसका यह धंधा खूब चल पड़ा। एक दिन में उसे चार-पांच ग्राहक तो मिल ही जाते हैं।

शनिवार के दिन अधिकांश दुकानदार दुकान के शटर में ताले के पास टोटका भी बांधने लगे हैं। इसमें एक नूींबू, पांच हरी मिर्च होती है। दुकान खुलने के समय मुख्य बाजारों में नींबू व मिर्च की माला बेचने वाले भी खूब मिल जाते हैं। ऐसी सामग्री बेचकर उनका धंधा भी खूब चल रहा है। यदि हिसाब लगाएं तो सप्ताह में एकदिन शहर भर में हजारों रुपये के नींबू व मिर्च को दुकान के शटर में बांधकर टोटकेबाज बर्बाद कर देते हैं। यदि माह व साल का हिसाब लगाएं तो टोटकों में लाखों रुपये की रकम एक पूरे शहर में बर्बाद कर दी जाती है। जबकि ऐसे टोटकों को परिणाम शून्य है। नींबू व मिर्च के जरिये बर्बाद हो रही राशि की जगह गरीबों को खाना खिलाया जाता तो शायद देश का भला हो सकता।

बचपन में मैने एक व्यक्ति के घरकी चौखट पर दरबाजे पर प्याज लटका देखा। मैने जब पूछा इससे क्या होता है, तो उसने बताया कि घर में सुख शांति रहती है। बुरी आत्मा नहीं आती। कुछ दिन बाद पता चला कि उस व्यक्ति के घर में ही चोरी हो गई। दरबाजे पर लटका प्याज उसके घर की रक्षा नहीं कर सका। एक व्यक्ति तरह-तरह के नग की अंगूठी पहनता था। नगों के बारे में वह कहता कि ये नग धन का प्रतीक है। इस नग से जीवन की रक्षा होती है। एक दिन उस व्यक्ति के सीने मे दर्द उठा। चिकित्सालय जाने पर डॉक्टर ने उसे स्ट्रेचर पर लिटाया, तभी उसने दम तोड़ दिया। उसका नग भी उसे नहीं बचा सका। कई बार मोहले के चौराहे पर कपड़ा, नारियल, व अन्य टोटके का सामान मुझे नजर आता है। पैसों की बर्बादी कर टोटकेबाज अपनी व परिवार की किस्मत बदलने के लिए ऐसी हरकत करते हैं। मुझे नहीं लगता कि ऐसा करने से किसी की किस्मत बदल जाएगी।

टोटका अपनाओ और पढ़ाई न करो, क्या छात्र परीक्षा पास कर सकेंगे। तैयारी न करो तो इंटरव्यू कैसे पास करोगे। दुकान में सामान की वेरायटी न रखो, टोटका आजमाओ, ग्राहक को संतुष्ट न करो, तो शायद ग्राहक भी दुकान में नहीं फटकेगा। फिर भी टोटके वालों की अपनी दुनियां है, अपना विश्वास है, जो अंधा है। टोटका आजमाओ, अभ्यास न करो और मैच जीतकर दिखाओ, काम न करो और कमाई कर दिखाओ, पढ़ाई न करो और परीक्षा पास कर दिखाओ। जंत्र व मंत्र की अंगूठी पहनो, फिर बीमार होने पर डॉक्टर के पास न जाओ, तब जानो। शायद ही किसी का भला ऐसा टोटका करेगा। फिर भी टोटके वालों के तर्क हैं। उनके पास इसके फायदों की लंबी लिस्ट है। तभी तो इस विज्ञान युग में टोटके भी अपना अस्तित्व बचाए हुए हैं।
भानु बंगवाल

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