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रिजेक्ट, रिकॉल, सिलेक्ट, कितने राइट ?

भारत बाप है, मा नही
भारत बाप है, मा नही
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राईट टू रिजेक्ट तो बाद में आता है पहले राईट टू सिलेक्ट तो लाओ । राइट टू सिलेक्ट होगा तो ना राइट टू रिजेक्ट की जरूरत पडेगी ना राइट टू रिकॉल की ।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि वोटरों को नेगेटिव वोट डालकर सभी उम्मीदवारों को रिजेक्ट करने का अधिकार है ।

कोर्ट ने नया क्या कहा ? आलसी आदमी इस अधिकार का उपयोग करता ही आया है, वोट करने ही नही जाता है, सब को रिजेक्ट कर देता है । तो रिक्शा भाडा खर्चना या पैदल चल के मतदान केन्द्र तक जाने की तकलिफ उठाने की क्या जरूरत है ? सिर्फ ठप्पा मारना है अपने निकम्मेपन का ।

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एनजीओ पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की याचिका पर दिया । अब पूरा भारत जानता है कि सारे एनजीओ भारत के लिए नही ग्लोबलिस्ट मुद्राराक्षसों (धन माफिया) के लिए काम करते हैं ।

बेंच ने कहा, ‘नेगेटिव वोटिंग 13 देशों में चुनाव सुधारों की मांग कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसी क्षेत्र में अगर 50% से ज्यादा वोट ‘इनमें से कोई नहीं’ के ऑप्शन पर पड़ता है, तो वहां दोबारा चुनाव करवाना चाहिए। अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह मतदाता का अधिकार है कि वह सभी उम्मीदवारों को खारिज कर सके। चुनाव आयोग ने भी इसका समर्थन किया था और सुझाव दिया था कि सरकार को ऐसा प्रावधान करने के लिए कानून में संशोधन करना चाहिए। हालांकि, सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।

देखा, ये मुद्राराक्षस १३ देश में ये कोशीश कर रहे हैं । धीरे धीरे ये साबित करना चाहते हैं की जगत के देशों की जनता लोकशाही के लिए लायक नही, जनता से पैदा होते नेता सब खराब ही होते हैं । जनता का ब्रेनवोश, एक सोसियल एन्जिनियरिन्ग, जनता को अपने ही नेताओं प्रति घृणा पैदा करवाना, अपनी पोलिटिकल सिस्टम टूट गई है ऐसा एहसास करवाना । बाकी राइट टू रिजेक्ट से चुनावी सिस्टम में कोइ फरक नही आनेवाला है । जो उम्मिदवार लाख वोट से जीतते थे वो हजार वोट से जीतेन्गे । ५०% तो क्या ९०% भी रिजेक्ट हो जाता है तो भी जीतनेवाला तो जीत ही जायेगा कुछ सौ वोट से । और बार बार चुनाओ कराओगे तो वही सब रिपीट होनेवाला है ।

राइट टु रिकॉल

ईस के पिछे हकिकत में कौन है वो बात पता नही पर कुछ लोग अदरक खा कर इस के पिछे पडे हुए हैं । एक नया प्रयोग किया गया है, कोइ रजीस्टर्ड संस्था को ये काम सौंपा जाता तो लोग उसका पिछा करते बता सकते थे कि ये विदेशी धन पर चलती संस्था भारतमें दखल दे रही है । लेकिन इसमें व्यक्तियों के आगे किया गया हैं जीन पर कोइ भ्रष्ट होने के आरोप नही है ।

राइट टु रिकॉल नेता, जज, नौकरशाहों की टांग खिंचाई के लिए हैं, लोकपाल का एक छोटा सा स्वरूप । राइट टु रिकॉल और लोकपाल मुद्राराक्षसों के मनपसंद नेता, जज या नौकरशाहों के लिए बिलकुल बे असर होंगे । वो अच्छी सरकार के समय या अच्छे नेता या अच्छे जज या नौकरशाह के पिछे वायरस की तरह पड जायेंगे । जुठे केस की लाईन लगेगी, मुद्राराक्षसों का मिडिया उन सबको बदनाम करेंगे, जनता को ही जज बनायेन्गे और अपने टांग खिंचाइ के शस्त्र उठाएन्गे । बार बार बताते हैं की अमरिका में ये सिस्टम है । अगर वहां ये सिस्टम होती या काम करती तो ओबामां को क्यों नही हटाते, वो तो दुनिया और खूद अमरिकामें सबसे अधिक अप्रिय नेता है ? मुद्रा राक्षसों की मुद्रा ही सब जगह काम कर जाती है ये बात मगज से निकल जाती है ।

राइट टु सिलेक्ट

बात रिजेक्ट की नही सिलेक्ट की होनी चाहिए । जनता ही जानती है अपने इलाके का कौन सा नेता जनता की सेवा कर रहा है या कौन सा नेता जनता को चूना लगा रहा है । लेकिन चुनाव के समय दिल्ली में चूने की दुकान खोलकर बैठे पार्टि के आलाकमान जनता के सामने चुना लगानेवाले नेता को ही भेजते हैं । और चुनाव आयोग भी कहता है ये लाल,पिले हरे मे से कोइ भी एक रंग पसंद कर लो चूने का ।

ये लोकशाही है या मजाक ? जनता के सामने गुंडे को भी खडा करो, भ्रष्ट को भी खडा करो और तो और जो लोकशाही में ही मानते नही ऐसे वामपंथियों को भी खडा करो और कहो कि इसे वोट करो । कौन है आलाकमान जो जनता के बदले खूद तय करता है की ये नेता अच्छा है और उसे आगे कर देता है । जनता के पास क्या चोइस बचती है ? जनता के इलाके में और भी अच्छे नेता थे जीसे खडा नही किया गया । दुल्हा (नेता) दुल्हन (कुरसी) तय कर लिया जनता को पंडित या काजी बन के शादी की रसम ही पूरी करनी है अपने वोट से ।

सभी पार्टि के कार्यकर्ताओं को मै आह्वान कता हुं, ये लोकशाही ही मुद्राराक्षसों की देन है, इतने साल बाद हमारे पास लोकशाही के सिवा और कोइ विकल्प नही बचा है तो इसे दिल से स्विकारते हुए इस को बचाने का और सुधारने का प्रयत्न होने चाहिए । शुरुआत आप को करनी है । आपने कार्य और जनता के बीच के आप के संबंधों की समिक्षा करो । अगर आप को लगता है जनता आप को चाहती है तो कुद जाओ चुनाव में, आला कमान की परवा मत करो । चुनाव आयोग को मजबूर करो टिकिट का खेल बंद करे । बिना टिकिट अपनी पार्टि के ही नाम से खडे होने की सहुलियत ले लो । एक पार्टि के ज्यादा उम्मिदवार खडे रहने से एक दुसरे के वोट काटते हैं ऐसे पूराने चुनावी गणित को ही बदल दो । एक पार्टी के सभी उम्मिदवार के टोटल से पार्टो की जीत और सब से ज्यादा वोट मिला वो उम्मिदवार की जीत होनी चाहिए ।

देखिये कैसे ।

कोंग्रेस से कोइ भी उम्मिदवार आलाकमान की भक्तिके कारण खडा नही हुआ । तो उस का एक आदमी खडा हो सका । भाजप के सात खडे हो गये । मलायम के तीन, माया के चार ।
कोंग्रेस = १०० वोट
भाजप
उम्मिदवार १ = १५
उम्मिदवार २ = २५
उम्मिदवार ३ = २०
उम्मिदवार ४ =३०
उम्मिदवार ५ = ३३
उम्मिदवार ६ = १६
उम्मिदवार ७ = १२
टोटल = १५१
समाजवादी
उम्मिदवार १ =४२
उम्मिदवार २ =१८
उम्मिदवार ३ =४५
टोटल = १०५
बहुजन
उम्मिदवार १ =२७
उम्मिदवार २ =१४
उम्मिदवार ३ =३५
उम्मिदवार ३ =३५
उम्मिदवार ४ = १४
टोटल = ९२

इस रिजल्ट से व्यक्तिगत वोट कोंग्रेसी उम्मिदवार को मिला है, क्यों की वो अन्य कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं के चुनाव में खडे रहने का हक्क को मारता हुआ अकेला खडा है और उसे वोट पार्टि के नाम से मिला है चाहे वो चूना लगानेवाला क्यों ना हो ।

बाकी पार्टि के उम्मिदवारों को कम वोट मिले हैं क्यों कि वो पार्टि के अन्य उम्मिदवारों में बंट गये हैं । फिर भी जनताने उस पार्टिमे से एक को सब से अधिक वोट दे कर बता दिया की इस पार्टि का यही उम्मिदवार हमारे लिए ठीक है । वो अच्छा हो या बूरा जनता को देखना है क्यों की वो जनता की खूद की चोइस है किसीने थोपा नही है ।

जीत का नया गणित ये होना चाहिए की पार्टि वाईज भाजप को अधिक वोट मिले हैं तो उस पार्टि के जीस उम्मिदवार को ३३ वोट मिले हैं उसे जीता हुआ समजना चाहिए ।

ये सब कैसे करना है, चुनाव कें खडे होने का हक्क कैसे पाना है वो बात राजकिय कार्यकर्ताओं को सोचना है । हमारा दानवों की पोलखोल पेज में ऐसा कोइ अधिकृत या मास्टर आदमी नही है की आप को सब कुछ समजा सके । हम तो तिली दिखा कर हट जायेन्गे फूटना आप को है ।

और एक बात ये दागी दागी का खेल चलाया है वो भी जानिये । ये मुद्राराक्षसों का लोन्ग टर्म आईडिया शोर्ट साईटेड जनता को समज में नही आयेगा । किचड से सने नेता को कुछ भी होनेवाला नही है, उस के किचड को साफ करने वाले साधन बहुत है चिन्ता उस की करो जीन पर किचड नही है । उस पर किचड डालने की कोशीश होगी और उसे रास्ते हटाया जायेगा ।

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