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तू लौ है और तू ही धारा

BHAVI
BHAVI
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तू लौ है, तू ही धारा
तू उनका है सहारा

 

कभी कभी तू रास्ते में डगमगा जाये
परन्तु तेरी आग जलती जाए

 

जिस डगर पर तू निकली है,
वहां न धूप है, न छांंव

 

घना अंधेरा छाया है
पर यह सिर्फ एक माया है।

 

 

 

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं, इनसे संस्‍थान का कोई लेना देना नहीं है।  

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