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नेहा और कबीर बचपन के साथी थे। एक ही स्कूल में पढ़े फिर एक ही कॉलेज में पढ़ाई करी। कबीर काफी सुंदर व स्मार्ट था। नेहा सीधी – सादी सरल स्वभाव की लड़की थी। दोनों ने एक साथ कॉलेज खत्म किया फिर कबीर की एक उच्च पद पर नियुक्ति हो गयी तभी नेहा ने उचित समय देख कर अपने प्यार का इजहार किया पर कबीर ने नेहा को अपने लायक नहीं समझा और अपने साथ कार्य करने वाली सुंदर व माडर्न लड़की शिवानी से शादी कर ली।
इधर नेहा भी अब अपना भविष्य संवारने में लग गयी।और अपनी आगे की पढ़ाई जारी रक्खी। कुछ समय बाद वो कॉलेज में प्रोफेसर नियुक्त हो गयी। कुछ वर्षों बाद नेहा और कबीर कॉलेज की स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में फिर से मिले तब कबीर को पता चला कि नेहा ने अभी तक शादी नहीं करी है। कबीर ने नेहा को डिनर पर बुलाया और उससे माफी मांगी। और शादी का प्रस्ताव रखा। उसने नेहा से कहा कि उसने उसके प्यार को ठुकरा कर बहुत बड़ी गलती की है उसकी और शिवानी की कभी नहीं बनी एक वर्ष बाद ही उनका तलाक हो गया।
नेहा चुपचाप बस कबीर को देखती रही और अंत में बस इतना ही कह पायी कि अब बहुत देर हो गयी है और वहाँ से चली गयी। नेहा ने अपने जीवन साथी के रूप में साथ में कार्य करने वाले प्रोफेसर विनीत को चुन लिया था जो उसी की तरह सरल स्वभाव वाले थे। कई बार हम बाहरी तड़क – भड़क में आकर इन्सान के गुणों को नजर अंदाज कर देते हैं जो आगे चलकर हमारे लिए परेशानी का सबब बन सकता है। निर्णय लेने से पहले हमें उसके दोनों पहलू पर ग़ौर करना चाहिए सिक्के के दोनों पहलु सदा अलग – अलग होते हैं। किसी इन्सान को संपूर्ण जाने बिना उसके बारे में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। बाहर से साधरण दिखने वाला व्यक्ति अन्दर से धनी व्यक्तित्व का मालिक हो सकता है, और बाहर से सुन्दर दिखाई देने वाला स्वार्थी व्यक्तित्व का मालिक हो क्योंकि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती।कोई भी निर्णय बहुत सोच समझकर लेना चाहिए क्योंकि जिन्दगी कभी-कभी दोबारा मौका नहीं देती। धन्यवाद
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