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प्रेमचन्द की जयंती पर मंचित हुआ ‘वैर के अन्त’

BhojpuriRangkarmi
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उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द की 139वीं जयंती और रंगश्री के 42वें स्थापना दिवस के अवसर पर 31 जुलाई को गोल मार्केट स्थित मुक्तधारा ऑडिटोयिम में ‘वैर के अंत’ नाटक का मंचन हुआ। जो मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर आधारित था। नाट्य परिकल्पना, अनुवाद और निर्देशन किया था बिहार सम्मान से सम्मानित रंगकर्मी श्री महेन्द्र प्रसाद सिंह ने। प्रेमचन्द जी ने इस नाटक में तीन भाइयों की कहानी को दिखया है। जिसमें सबसे बड़े भाई की मृत्यु के बाद दो भाइयों के बीच में पांच बीघा जमीन को लेकर होने वाले विवाद को दर्शाया गया। जमीन विवाद का यह झगड़ा रिश्तेदारों तक ही नहीं बल्कि कचहरी तक पहुंच जाता है, जिसका खामियाजा दोनों भाइयों को भुगतना पड़ता है। जमीन पर अपना हक जताने के लिए मुकदमेबाजी और एक-दूसरे को हराने की जिद दोनों परिवारों की कमर तोड़ देती है। एक ओर दूसरे भाई, रमेसर राय और उसका जवान बेटा जोगेसर किसान से मजदूर बन जाते है। वहीं दूसरी ओर बिसेसर राय जो जमींदार का कारिंदा होता है, वो भी बदहाली से त्रस्त व रोगग्रस्त होकर तीन नाबालिग बच्चों व पत्नी को गरीबी की गर्त में छोड़कर स्वर्ग सिधार जाता है।
अतिथि के रूप में उपस्थित इसरो के व्यवहार वैज्ञानिक श्री नागेन्द्र प्रसाद सिंह मंच पर आकर सभी कलाकारों को फूल देकर उनका हौसला बढ़ाया और बोले कि नाटक इतना बेहतर था कि हम भी भावुक हो गए। बेहतरीन निर्देशन, बेहतरीन पार्श्व संगीत-गीत और अभिनय के लिए पूरे टीम की प्रशंसा की। प्रेमचन्द ने बताया कि वैर का अंत वैरी के जीवन के साथ ही हो जाता है। यह नाटक मानव धर्म के साथ-साथ सामाजिक-धार्मिक स्थलों में भी दिया जलाने अर्थात देखरेख को प्रेरित करता है।
वीर कुंअर सिंह फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री निर्मल सिंह ने कलाकारों की तारीफ करते हुए उनका हौसला बढ़ाया और लगातार 42 सालों से अनवरत भोजपुरी रंगकर्म करते रहने के लिए रंगश्री के संस्थापक श्री महेन्द्र प्रसाद सिंह की भूरी-भूरी प्रशंसा की। श्रंगश्री के संस्थापक श्री महेनद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि भोजपुरी से हिन्दी कमजोर नहीं बल्कि सशक्त हो इस दिशा में रंगश्री का बहुत योगदान है। नाटक में सूत्रधार थे लव कान्त सिंह, रमेसर राय का पात्र अखिलेश कुमार पांडेय, बिसेसर राय का पात्र उपेंद्र चौधरी , जोगेसर का पात्र सौमित्र वर्मा, जोगेसर की बीवी के पात्र में थी नम्रता सिंह, बिसेसर की बीवी के पात्र में थी वीण वादिनी, तपेसरी बनी थी मीना राय और गवाह की भूमिका में थे रूस्तम कुमार।

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