बिहार प्राचीनकाल से ही शिक्षा के क्षेत्र में बहुत नामी रहल बा। विश्व के सबसे बन्हिया विश्वविद्यालयन में से दूगो बिहार में ही रहे जहवाँ से दुनिया के कईगो विद्वान पढ़ले बारें। हालाकि एह क्षेत्र में नाम अभियो बा बाकी, अब नाम होता रिजल्ट के बेरा। जब राज्य में दसवाँ आ बारहवाँ के परीक्षा परीणाम आवत बा, तब बिहार के नाम उछिल जाता। जब टापर्स घेटाला होता, तब बिहार के नाम उछिल जात आ। बिहारी भइला के नाते हमनी सबके दुख आ सर्मींदगी झेले के पड़ेला। देश भर में बिहार के छवि ई रहल ह कि बिहारी छात्र तेज होले, बाकी दू साल से लगातार जवन घोटाला सामने आ रहल बा, ऐसे उ छवि माटी में मिल गइल बा। एह प्रकरण के रहस्योद्घाटन के बाद हर जगह बिहारी लोग के शक के नजर से देखल जा रहल बा। भले उ सरकारी नोकरी में होखे चाहे प्राइवेट नोकरी में।
पर्हे साल रूबी राय आ अबकी गणेश ठाकुर के नाम आ रहल बा। प्रदेश में विज्ञान के 70 प्रतिशत आ आर्ट के 76 प्रतिशत विद्यार्थी फेल हो गइल बारें। आ कुल मिला के 65 प्रतिशत छात्र फेल बारें। ई विद्यार्थी सन के असफलता ना ह बलुक सरकार के असफलता ह। परीक्षा में विफलता से आहत होके दूगो छात्रा खुदखुशी क लेहली आ एगो के समय पर बचा लिहल गइल।
अब सनसनात सवाल ई बा कि आखिर ई मौत के जिम्मेदार के बा? पूरा प्रदेश के विफल छात्र इंटर काउंसिल के मुख्य कार्यालय के सामने प्रदर्शन खतिर जुटलन। ओह लोग के आरोप रहे कि रिजल्ट जारी करे में गड़बड़ी भइल बा, ऐसे कापियन के दोबारा जांच करावल जाव। प्रदर्शन कर रहल छात्रन के तितर-बितर करे खातिर छाठी चलावल गइल। ओकरा बाद मामला उग्र रूप लेवे लागल जवना के जवाब में पुलिस छात्रन के दउड़ा-दउड़ा के पीटले बिया।
बतावल जाता कि इंटर काउंसिल कार्यालय, मौर्या लोक आ तारा मंडल के आसपास छात्र सन के अलावा उनकर अभिभावकन के भी भारी भीड़ जुटल रहे। पुलिस छात्रन के साथ उनका अभिभावकन पर भी लाठीचार्ज कइलस। ई सब घटना अभी कुछ दिन आउर चली, आ हो सके रोज कवनो ना कवनो नाया तथ्य सामने भी आई।
राज्य के मुखिया नीतीश जी भी एह परीणाम से खुश नइखन, आ तरह-तरह के हाई लेवल मीटिंग भी शुरू हो गइल बा, बाकी निकली ढ़ाक के तीन पात।
कारण का बा एह खातिर एगो छोट काथा सुनी- एगो इंजीनीयर साहेब रहले। तबादला के बाद जवन नाया क्वाटर मिलल, ओहमें लोग के देखा-देखी गुलाब के फुलवारी लगावले, सब सुख गइल। फेर लगवलें, पुरा सेवा-पानी कइलें, बाकी तबो सुख गइल। एकदिन एगो माली देखलस त कहलस कि साहेब खाली पतई पर पानी डालेम त कइसे लागी, जड़ में पानी डालीं।
ठीक हइे हाल बिहार के शिक्षा बेवस्था के बा। इंजीनीयर साहेब (नीतीश कुमार जी) हड़बड़ी में जइसे-तइसे शिक्षक के बहाली क लिहहें, आ अब रिजल्ट के माथा धुनाता। जहां काम करे के जरूरत बा, ओजा होत नइखे, आ रिजल्ट अइला पर हाई लेवल मीटिंग होता। बिहार में शिक्षा बेवस्था के पंगु बनावे में सबसे बड़ा योगदान बा नकल संस्कृति के, जवन की पुरान बा।
जब लालू यादव जइसन बड़ नेता चुनावी मंच से चीट करके पास करे के वकालत करी, त लइकन पर का असर होई। नकल संस्कृति पर नकेल कसल बहुत जरूरी रहे, बाकी अब खाली एहसे काम ना होई। काहे कि जाने-अनजाने कईगो समस्या पैदा हो गइल बा। हर स्कूल में शिक्षक के बहाली खातिर मुखिया के पावर दियाइल, आ मुखिया जी सर्टिफिकेट के आधर पर अपना हित-मीत, नाता रिश्तेदार के मास्टर बना देहलें।
ओकरा बाद टेट के आयोजन भइल, बाकी बेवस्था में अइसन घुन लागल बा कि शिक्षा के दलाल सब पईसा के बल पर जाली सर्टिफिकेट के आधार पर भर्ती करवा देलस, आ ऐमे जिला शिक्षा पदाधिकारी से लेके क्लर्क तक के जबरदस्त मिलीभगत रहे। बहुत लोग आवाज उठावल त जांच के नाम पर कुछ जाली शिक्षक (जे दुबारा घूस ना देहल) के पहचान करके निकाल दियाइल, जबकि जिला शिक्षा पदाधिकारी आ क्लर्क पर कौनो कार्रवाई ना कइल गइल।
हम छपरा के एगो घटना बतावत बानी की पइसा के बल पर अइसन-अइसन लोग शिक्षक बनल जे कालका-दिल्ली में जाके दूध के, आ कोइला के दोकान चलावत रहे, आ उम्र भी 2-4 साल में 50 ले पहुंच जाई। ओहमें से केहू के कह दियाओ कि अपना घर भर के सबकोई के नाम हिन्दी आ अंग्रेजी में लिख द त दांत चियार दी लोग।
अइसन-अइसन महिला शिक्षक बा लोग, जे अपने सर्टिफिकेट ना चिन्ह पावेला कि कवन मार्कशीट ह आ कवन प्रोवीजनल। अइसन-अइसन मास्टर लोग के रहस्योद्घाटन टीवी चैनल समय-समय पर करत रहेला, बाकी मुख्यमंत्री जी के चाहीं कि अइसन मास्टर लोग के बाद में, पहिले जिला शिक्षा पदाधिकारी आ ओकर कर्मचारी लोग के जांच करावस। काहे की गंध ओही लोग के कारण मचल बा।
छपरा जइसन शहर में ऐगो क्लर्क के करोड़ो के सम्पत्ति बा, स्कूल बा, आखिर सरकार के पता करे के चाहीं, कि ऐतना सम्पत्ति एगो क्लर्क के पास आइल कहां से। खैर कमोबेस इहे हाल पूरा प्रदेश में बा। कवनो दू राय नइखे कि अयोग्य शिक्षक के मनमानी के कारण जे योग्य बा उहो हतोत्साहित होके पढ़ावे में ढ़ील दे देत होई। जब कोई मरीज के आॅपरेशन होखे वाला होला, आ ओकरा बोखार होखे त सबसे पहिले बोखार ठीक करे के दवाई कइल जाला, ठीक भइला के बादे आॅपरेशन होला।
ओइ सही बीमार शिक्षा बेवस्था के ठीक करे खातिर सबसे पहिले अयोग्य शिक्षक के पहचान क के निकाले के पड़ी, तब ओह लोग के पढ़ावे के टाइम टेबल पर कड़ाई से ध्यान देवे के पड़ी, जबकी मौजूदा हाल त ई बा कि मास्टर साहेब 11 बजे स्कूल जातारें। कहियो धान रोपवावे के बा, त नाहियो जइहें हाजरी त लागिए जाई। अगर चेकिंग में कोई अधिकारी पकड़ लेलस त पईसा के बल पर सेटिंग हो जाला।
सरकारी नोकरी में जाए वाला लोग के मानसिकता ई रहेला कि निकाल थेाड़े दी, जादा से जादा कुछ दिन खातिर सस्पेंड क दी, जबकि कवनो गड़बड़ी पवला के बाद तुरंत नौकरी से हटा देवे के चाहीं। जब मास्टर सही रही, पढ़ाई सही होई, त मजाल बा कि हेतना खराब दशा होई बिहार के रिजल्ट के। बीमीर शिक्षा बेवस्था में पढ़के छात्रन के भी मन मोटा जाला। काहेकि बिसवास बा कि चीट से ना, त पइसा से पास होईए जाएल जाई। हर मोर्चा पर कड़ाई करे के जरूरत बा, रेफरेन्स खातिर शहर के कवनो प्राइवेट स्कूल के बेवस्था से सबक लेहल जा सकेला।
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