Menu
blogid : 19172 postid : 1318725

अपनी हसरतों के सितारे….

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
  • 124 Posts
  • 267 Comments

उपवन को
कोयल पर प्यार आया,
समां ने-
परवाने को
फिर फुसलाया,
किरण –
अनुरक्त हुई
नटवर को बाँध लाई,
बिहँसी, मुस्कुराई
पूनम की जुन्हाई .
अनंत ने
अनुभूतियों के द्वार खोले,
गूंगा बोले….
तो क्या बोले
अनुभूतियों का कोष
कैसे खोले ?
सो –
आह्लादित हो
करने चला
रूप रस गंध को
परिभाषित,
शब्द स्पर्श को
विभाषित.
उमंगित हो
नाच उठी धरा,
पुलकित हो
गगन-
हो उठा मगन,
और चितेरा
भर अंक
अपनी प्रेयसी को
ले चला,
न जाने
अरमानो के किस लोक
टाँकने को
उसके तन मन पर
अपनी हसरतों के सितारे..
************************

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh